योग आज से नहीं सदियों से एक सही जीवन यापन का विज्ञान है और आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में जहा इंसान को खुद का और खुद के स्वास्थ्य का जरा भी ख़याल नहीं है इसे दैनिक जीवन में शामिल किया जाना बेहद जरुरी है. योग भौतिक, मानसिक, भावनात्मक, आत्मिक और आध्यात्मिक पहलुओं के जरिये मानव विकास में अहम् भूमिका निभाता है.
योग का अर्थ 'एकता' या 'बांधना' है. इस शब्द की जड़ है संस्कृत शब्द 'युज', जिसका मतलब है 'जुड़ना'. आध्यात्मिक स्तर पर इस जुड़ने का अर्थ है सार्वभौमिक चेतना के साथ व्यक्तिगत चेतना का एक होना. व्यावहारिक स्तर पर, योग शरीर, मन और भावनाओं को संतुलित करने और तालमेल बनाने का एक साधन है. यह योग या एकता आसन, प्राणायाम, मुद्रा, बँध, षट्कर्म और ध्यान के अभ्यास के माध्यम से प्राप्त होती है. तो योग जीने का एक तरीका भी है और अपने आप में परम उद्देश्य भी.
योग सबसे पहले लाभ पहुँचाता है बाहरी शरीर को, जो ज्यादातर लोगों के लिए एक व्यावहारिक और परिचित शुरुआती जगह है. बाहरी शरीर के बाद योग मानसिक और भावनात्मक स्तरों पर काम है. रोज़मर्रा की जिंदगी के तनाव और बातचीत के परिणामस्वरूप बहुत से लोग अनेक मानसिक परेशानियों से पीड़ित हैं. योग इनका इलाज शायद नहीं प्रदान करता लेकिन इनसे मुकाबला करने के लिए यह सिद्ध विधि है. योग के सही मतलब और संपूर्ण ज्ञान के बारे में जागरूकता अवश्य ही बढ़ रही है. हर वर्ष योग के प्रति जागरूकता फ़ैलाने के लिए विश्वभर में 21 जून को योग दिवस के रूप में मनाया जाता है.
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