लखनऊ: उत्तर भारत के नौ राज्यों के अल्पसंख्यक कल्याण मंत्रियों व अधिकारियों की विकास समन्वय बैठक के उद्घाटन में अपने संबोधन के दौरान उप के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने को कहा कि 'उनकी सरकार केंद्र सरकार की योजनाओं को बिना किसी भेदभाव के, हर व्यक्ति तक पहुंचाने के लिए प्रतिबद्ध है और ध्यान रखा जा रहा है कि कोई उपेक्षित न हो, भेदभाव का शिकार न हो''.
उन्होंने कहा, "अल्पसंख्यक कल्याण मंत्रालय पर बेहद अहम जिम्मेदारी है. अगर हमारे शरीर का कोई अंग काम करना बंद करता है तो हमें दिव्यांग कहा जाता है. अगर समाज में किसी व्यक्ति के साथ भेदभाव होता है तो वो अपने आपको उपेक्षित महसूस करता है. हमें ध्यान रखना है कि कोई व्यक्ति अराजकता का शिकार न हो और वह अपने समाज के साथ मिलकर इस राष्ट्र को सशक्त बनाने और एक भारत-श्रेष्ठ भारत की संकल्पना में अपना योगदान दे सके.''
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा, "मदरसों में आधुनिक शिक्षा की बात करते हुए हम मदरसों के आधुनिकीकरण की तरफ ध्यान दे सकते हैं. मदरसों को बंद करना किसी समस्या का समाधान नहीं है, बल्कि समय के साथ हम उनमें व्यापक सुधार कर सकते हैं. मैं तो संस्कृत विद्यालयों से भी कहता हूं कि वे परंपरागत शिक्षा जरूर लें, लेकिन प्रतिस्पर्धा में बने रहना है तो उसके साथ अंग्रेजी, विज्ञान, गणित और कम्प्यूटर का भी ज्ञान होना चाहिए."
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