पटना: 8 अक्टूबर को बिहार के बगहा में आदमखोर बाघ को वन विभाग ने मार गिराया था। गोबर्धना थाना के बलुआ गांव में उसके शव पर गांव के लोगों ने हमला कर दिया था। इस मामले में पुलिस ने एक हजार गांव के लोगों के खिलाफ पशुक्रूरता समेत अन्य 12 धाराओं में मुकदमा दर्ज किया है। इसमें से 125 व्यक्तियों के खिलाफ नामजद FIR दर्ज की गई है। वहीं, दो अपराधियों को अभी तक गिरफ्तार कर लिया गया है। बाकी के गिरफ्तारी के लिए छापेमारी की जा रही है।
वही बाघ के आतंक से निजात के लिए वन विभाग ने बाघ को मारने का निर्णय लिया था। इस बीच आदमखोर बाघ ने एक मासूम समेत उसकी मां को शिकार बना लिया। 8 अक्टूबर को वन विभाग की टीम ने बाघ को गन्ना के खेत में ही घेरने के लिए जाल लगाना आरम्भ कर दिया। उसकी खोज में ड्रोन का भी सहारा लिया गया था। आखिर मे 7 शूटरों को अलग अलग पोस्ट पर तैनात कर दिया गया। दो हाथियों पर सवार शूटर बाघ का शिकार करने के लिए लगाए गए थे। बहुत कोशिश के पश्चात् हाथी पर सवार शूटरों ने बाघ को मार गिराया। कुल चार राउंड गोली चली, जिसमें 3 गोली बाघ को लगी थी।
वही आतंक का पर्याय बने बाघ को मारे जाने की बात पर ग्रामीणों को भरोसा नहीं हो रहा था। उनका कहना था कि बाघ को बेहोश कर दिया गया है। वन विभाग इसको फिर जंगल मे छोड़ देगा। इस अफवाह के कारण लोग हमलावर हो गए थे। इस हमले में कुछ लोग मृत बाघ का बाल भी नोचने लगे तथा बाघ के शव पर भी आक्रामक हो गए। वन विभाग के कर्मचारी मृत बाघ के शव को ट्रैक्टर ट्रॉली से वन दफ्तर गोबर्धना ले जा रहे थे। इसी के चलते अचानक गांव के लोगों ने हमला कर दिया तथा ट्रैक्टर ट्रॉली को रोककर बाघ का शव दिखाने की मांग करने लगे। इसी बीच कुछ लोग बाघ के बाल भी नोंचने लगे तथा कुछ लोग ट्रॉली पर सवार होकर वनकर्मियों एवं पुलिस के साथ बदसलूकी करने लगे। बड़े आँकड़े में ग्रामीण ट्रैक्टर पर लाठी पीटने लगे। भीड़ को नियंत्रित करने पहुंची पुलिस के साथ धक्का-मुक्की भी हुई। कुछ ने एसपी के साथ भी बदसलूकी की। इन सब के बाद भी पुलिस ने हालात संभाले रखा तथा किसी प्रकार भारी मशक्कत के बीच बाघ के शव को सुरक्षित निकालकर वन दफ्तर ले गई।
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