मंदसौर: यह खबर बीते रविवार शाम के समय कोई नवजात बच्चे को मसजिद के पास नाली में फेंक कर चला गया था. वहीं, जब रोने की आवाज आई तो रहवासी एकत्र हो गए, परन्तु उसे उठाने की किसी ने हिम्मत तक नहीं जुटाई थी. इसी दौरान हब्बन आपा (75) ने कागज की सहायता से नवजात को बाहर निकाला. उसे अस्पताल में भर्ती कराया. 6 संतानों को जन्म देने वाली हब्बन अम्मा ने बच्चे को गोद लेने की भी इच्छा जताई हैं.
शामगढ़ अस्पताल के बीएमओ डॉ. राकेश पाटीदार ने कहा कि अस्पताल लाते समय बच्चे की हालत नाजुक थी. वहीं थोड़ी-सी भी देरी बच्चे की जान को खतरे में डाल सकती थी. उसके हाथ-पैर नीले पड़ने लग गए थे. नवजात बच्चे को आक्सीजन देकर प्राथमिक इलाज किया गया फिर आईसीयू की सुविधा के लिए 108 एम्बुलेंस की सहायता से नवजात को जिला अस्पताल के लिए रेफर कर दिया गया था. जहां डॉक्टरों ने चेकअप के पश्चात् उसे भर्ती कर लिया. नवजात अब पूरी तरह स्वस्थ माना जा रहा है.
केंद्रीय दत्तकग्रहण अभिकरण (कारा) एक पोर्टल है. वहीं शिशु गृहों में निवासरत बच्चे इस पर अपलोड होते हैं. गोद लेने के लिए ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन कराना होता है. वहीं, प्रतीक्षा सूची मुताबिक कारा के माध्यम से बच्चे आवंटित हाेते हैं. शामगढ़ थाना एसआई गौरव लाड़ ने कहा मसजिद समेत आसपास के सीसीटीवी कैमरों की जांच की है. इसमें 2 महिलाएं व एक पुरुष दिखाई दे रहे हैं. वहीं जल्द ही इस मामले का खुलासा करेंगे.
जेजे एक्ट में यह प्रावधान है कि कोई बच्चे को समर्पित कर सकता है. जिले में 38 शिशु स्वागत केंद्र हैं. जहां बगैर पहचान और वजह बताए बच्चे को छोड़ा जा सकता है. किसी नवजात की जान लेना गंभीर अपराध में आता है. विशेषज्ञों के अनुसार कोई मां इतनी क्रूर नहीं होती जो बच्चे को फेंक दे. महिला कहीं न कहीं सामाजिक बुराइयों की शिकार होगी. वह अविवाहित या विधवा हो सकती है. जो किसी मज़बूरी के तरह यह कदम उठाया होगा.
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