झांसी: उत्तर प्रदेश के झांसी में महारानी लक्ष्मीबाई मेडिकल कॉलेज में लगी आग ने एक बड़ा हादसा कर दिया। चिल्ड्रन वार्ड में हुए इस अग्निकांड में 10 मासूम बच्चों की जान चली गई। हादसे का कारण शॉर्ट सर्किट बताया जा रहा है, लेकिन कई सवाल खड़े हो रहे हैं कि क्या बच्चों की जान बचाई जा सकती थी।
बताया गया है कि वार्ड में आग लगने की वजह इलेक्ट्रिक शॉर्ट सर्किट थी। आग के कारण वहां रखे सिलेंडर भी फट गए, जिससे हालात और बिगड़ गए। अस्पताल में आग लगने की स्थिति में चेतावनी देने वाले अलार्म काम नहीं कर रहे थे। यदि अलार्म बजते, तो स्टाफ को जल्दी आग का पता चलता और बच्चों को समय रहते बाहर निकाला जा सकता था। इसके अलावा, आग बुझाने के उपकरण भी खराब थे, जिससे आग पर समय रहते काबू नहीं पाया जा सका।
चिल्ड्रन वार्ड में सिर्फ एक एग्जिट गेट था। फायर ब्रिगेड के कर्मचारी एक बार में केवल 2-3 बच्चों को ही बाहर ला पा रहे थे। खिड़कियां तोड़ने की कोशिश भी की गई, लेकिन आग और धुएं की वजह से यह प्रक्रिया धीमी रही। अगर वार्ड में दूसरा एग्जिट गेट होता, तो ज्यादा बच्चों को बचाया जा सकता था।
यह हादसा अस्पतालों में सुरक्षा उपायों की कमी को उजागर करता है। अगर समय पर सुरक्षा उपकरण काम करते, पर्याप्त निकासी के रास्ते होते और स्टाफ को फायर सेफ्टी की ट्रेनिंग दी जाती, तो शायद इस दुर्घटना को टाला जा सकता था। इस घटना ने यह स्पष्ट किया है कि अस्पतालों में सुरक्षा मानकों को सुधारने की सख्त जरूरत है।
झांसी की इस घटना ने पूरे देश को झकझोर दिया है और यह याद दिलाया है कि ऐसी त्रासदियों से बचाव के लिए तैयारियां कितनी जरूरी हैं।
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