लखनऊ: उत्तर प्रदेश के संभल जिले में 24 नवंबर 2024 को हुई हिंसा में एक मुस्लिम युवक की गोली लगने से मौत हो गई थी, और इस हिंसा में कई लोग घायल भी हुए थे। इस मामले में कुल सात एफआईआर दर्ज की गई हैं, जिनमें 800-900 लोगों के एक हिंसक भीड़ के शामिल होने की बात सामने आई है। प्रशासन के अधिकारियों ने बताया कि मुस्लिम भीड़ ने मस्जिद का सर्वे करने गए पुलिसकर्मियों पर हमला किया और उनके हथियार छीनने की कोशिश की, जिससे कई पुलिसकर्मी घायल हो गए।
इस हिंसा में समाजवादी पार्टी (सपा) के सांसद जियाउर्रहमान बर्क और विधायक इक़बाल महमूद के बेटे सुहैल इकबाल के अलावा 21 अन्य लोगों को नामजद किया गया है। हिंसा के दौरान 315 बोर के अवैध तमंचे भी बरामद हुए, जिनका इस्तेमाल हमलावरों द्वारा किया गया था। यह बोर पुलिस के द्वारा इस्तेमाल नहीं किया जाता, बल्कि यह अवैध रायफलों में पाया जाता है, जो आमतौर पर दंगाइयों के पास होते हैं। यही वही बोर था, जिसकी गोली से युवक की मौत हुई थी। एफआईआर में बताया गया है कि भीड़ ने न केवल पुलिसकर्मियों पर हमला किया, बल्कि उनकी सरकारी और निजी वाहनों में आगजनी भी की। उपद्रवियों ने पुलिसकर्मियों से हथियार भी छीने, जिनमें टीयर गैस सेल और रबर बुलेट शामिल थे। कई स्थानों पर पुलिसकर्मियों को मार डालने की कोशिश की गई और भीड़ ने गोलियाँ भी चलाईं। इस दौरान चार पुलिसकर्मी घायल हुए, जिनमें से कुछ की इलाज के दौरान मौत हो गई।
एफआईआर में यह भी उल्लेख किया गया है कि हिंसक भीड़ के कुछ सदस्य उकसाने वाले नारों के साथ आक्रमण कर रहे थे। “अल्लाहु अकबर” के नारे के साथ भीड़ ने पुलिस को घेर लिया और मारने की कोशिश की। पुलिस अधिकारियों ने अपनी तहरीर में कहा है कि हमलावरों को पहले से यह जानकारी थी कि किसे मारना है और किसे बचाना है। हिंसा के बाद पुलिस ने बल प्रयोग किया और हमलावरों को तितर-बितर किया, लेकिन इस दौरान कई पुलिसकर्मियों के हाथ से हथियार भी छीन लिए गए थे और आगजनी की घटनाएं हुईं। कुछ हमलावरों के पास अवैध हथियार बरामद हुए, जो पुलिसकर्मियों के हथियारों से मेल खाते थे, और यह दर्शाता है कि कहीं न कहीं किसी साजिश के तहत इन हथियारों का इस्तेमाल किया गया।
इसी के साथ, यह भी संदेह जताया जा रहा है कि कुछ साजिशकर्ताओं ने जानबूझकर भीड़ को भड़काया था, ताकि वह अपनी योजना को सफलतापूर्वक अंजाम दे सकें। इस हिंसा में जो युवक मारा गया, उसकी हत्या में 315 बोर की गोली का इस्तेमाल हुआ, जो कि अवैध रायफल्स में इस्तेमाल की जाती है। इस घटना में यह भी दर्शाया गया कि इस हिंसा का उद्देश्य सिर्फ पुलिसकर्मियों को निशाना बनाना नहीं था, बल्कि निर्दोष लोगों को भी शिकार बनाया गया। इस हिंसा के बाद समाजवादी पार्टी का प्रतिनिधिमंडल भी लोकसभा स्पीकर से मिला और पुलिस कार्रवाई के खिलाफ विरोध व्यक्त किया। इस हिंसा में सपा की मिलीभगत का आरोप भी लगाया गया है, क्योंकि सांसद जियाउर्रहमान ने हिंसा से दो दिन पहले मस्जिद में भड़काऊ भाषण दिया था और सुहैल इकबाल ने हमलावरों को उकसाया था।
इस हिंसा में कुल चार मौतें हुई हैं, और यह भी कहा जा रहा है कि इन मौतों का कारण तुर्क और पठानों के बीच चल रही खींचतान भी हो सकती है। इस हिंसा के कारण सड़कें जाम हो गईं और पुलिस वाहनों को आग लगा दी गई। स्थिति इतनी बिगड़ गई थी कि घायलों को इलाज में देरी हुई, जिससे मौतों की संख्या बढ़ गई। यह हिंसा एक साजिश का हिस्सा लगती है, जिसमें उकसावे के साथ-साथ समाज के कुछ वर्गों में हिंसा फैलाने का प्रयास किया गया। पुलिस ने अपनी तरफ से हल्का बल प्रयोग किया था, लेकिन हिंसा के दौरान मौतों और घायलों की संख्या को लेकर जांच जारी है।
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