बंगाल में बनेगी नई बाबरी मस्जिद..! TMC सांसद हुमायु कबीर देंगे जमीन और पैसा

बंगाल में बनेगी नई बाबरी मस्जिद..! TMC सांसद हुमायु कबीर देंगे जमीन और पैसा
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कोलकाता: पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद जिले के बेलडांगा में तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) विधायक हुमायूँ कबीर ने एक नई बाबरी मस्जिद बनाने की घोषणा की है। उनका कहना है कि 6 दिसंबर 2025 तक मस्जिद का निर्माण कार्य शुरू हो जाएगा। कबीर ने बताया कि मस्जिद निर्माण के लिए दो एकड़ जमीन पर एक ट्रस्ट का गठन किया जाएगा। इस ट्रस्ट में मदरसों के अध्यक्ष और सचिव जैसे महत्वपूर्ण लोग शामिल होंगे।  

हुमायूँ कबीर ने भरोसा दिलाया कि मस्जिद निर्माण के लिए धन की कोई कमी नहीं होगी। उन्होंने कहा कि वे स्वयं इस परियोजना के लिए एक करोड़ रुपये का दान देंगे। इस घोषणा के साथ उन्होंने बंगाल के मुस्लिम समुदाय की भावना को मस्जिद निर्माण का आधार बताया। उनका कहना है कि यह मस्जिद देश को यह संदेश देगी कि बाबरी मस्जिद के विध्वंस के बावजूद मुस्लिम समुदाय की पहचान और संस्कृति कायम है।  

हुमायूँ कबीर ने जोर देकर कहा कि यह मस्जिद मुस्लिम समुदाय की 'सिर ऊँचा कर जीने की तमन्ना' का प्रतीक बनेगी। उन्होंने इसे सामूहिक पहचान और आत्मसम्मान की मिसाल बताते हुए कहा कि यह कदम भारतीय समाज में मुसलमानों के योगदान और उनकी उपस्थिति को मजबूती से प्रदर्शित करेगा। यह पहली बार नहीं है जब हुमायूँ कबीर सुर्खियों में आए हैं। वे इससे पहले भी अपने विवादास्पद बयानों के कारण चर्चा में रहे हैं। लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान उन्होंने भाजपा समर्थकों के खिलाफ हिंसात्मक टिप्पणी की थी, जिसे लेकर भाजपा नेता मिथुन चक्रवर्ती ने तीखी प्रतिक्रिया दी थी।  

हुमायूँ कबीर की इस घोषणा के बाद राज्य की राजनीतिक और सामाजिक हलकों में चर्चाओं का दौर शुरू हो गया है। भाजपा के नेता इसे सांप्रदायिक भावनाओं को भड़काने की कोशिश के रूप में देख रहे हैं। वहीं, टीएमसी समर्थक इसे मुस्लिम समुदाय के लिए एक सकारात्मक पहल के रूप में प्रस्तुत कर रहे हैं। हालांकि, सवाल उठ रहे हैं कि क्या यह कदम समुदाय के उत्थान के लिए है या फिर इसे राजनीतिक लाभ के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है। कई लोग यह भी पूछ रहे हैं कि सार्वजनिक भूमि और निजी धन का उपयोग धार्मिक उद्देश्यों के लिए कैसे न्यायोचित ठहराया जाएगा।  

इस प्रकार, हुमायूँ कबीर की इस घोषणा ने न केवल मुर्शिदाबाद बल्कि पूरे राज्य में एक नई बहस को जन्म दे दिया है। आने वाले समय में यह देखना दिलचस्प होगा कि यह परियोजना किस दिशा में आगे बढ़ती है और इससे सामाजिक और राजनीतिक परिदृश्य पर क्या प्रभाव पड़ता है।  

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