नई दिल्ली: ज्ञानवापी विवादित ढाँचे का सर्वे 16 मई 2022 को समाप्त होने के बाद आज (17 मई 2022) इस मामले पर अदालत में रिपोर्ट जमा होनी है। इस बीच अदालत ने वजूखाने में नमाजियों को वजू करने से रोक दिया है और जो शिवलिंग वहाँ मिला है उसकी सुरक्षा CRPF को दी गई है। अब अदालत के इसी फैसले पर मुस्लिम पक्ष खफा है। उन्होंने शिवलिंग को फव्वारा करार दिया है और कोर्ट के फैसले को नाइंसाफी बताते हुए कहा है कि इस पूरे घटनाक्रम से सांप्रदायिक उन्माद पैदा करने की साजिश की जा रही है। वहीं हिंदू पक्ष ने सर्वे खत्म होने के बाद कहा है कि वो विवादित ढाँचे के शेष हिस्से में भी वीडियोग्राफी कराने के लिए आग्रह करने वाले हैं।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) के महासचिव खालिद सैफुल्लाह ने बयान में कहा है कि, 'वो मस्जिद है, मस्जिद थी और मस्जिद रहेगी। इसको मंदिर करार देने का प्रयास सांप्रदायिक उन्माद पैदा करने की एक साजिश है।' उन्होंने ज्ञानवापी पर मु्स्लिमों को अधिकार बताने के लिए इतिहास में अदालत द्वारा लिए गए फैसलों का उल्लेख किया। फिर वाराणसी कोर्ट के उस फैसले की निंदा की जिसमें ज्ञानवापी में वीडियो बनाने की मंजूरी दी गई। उनके अनुसार, जैसे ही याचिका आई थी उसे खारिज कर दिया जाना था। मगर, ऐसा नहीं हुआ। सिविल कोर्ट ने जो वजूखाने के हिस्से को बंद करने का आदेश जारी किया है, वह आदेश ज्यादती है और कानून का उल्लंघन भी। वह कहते हैं कि, 'अदालत से ये उम्मीदें नहीं थी। उनके फैसलों ने इंसाफ के तकाजों को जख्मी कर दिया है, इसलिए सरकार को चाहिए कि फ़ौरन इस मामले में रोक लगाए।'
बता दें कि ज्ञानवापी परिसर का सर्वे पूरा होने के बाद इस केस की वादी लक्ष्मी देवी के पति डॉ सोहनलाल आर्य ने मीडिया से बात करते हुए कहा है कि अभी तो पूरे परिसर का सर्वेक्षण ही नहीं हो पाया है। यहाँ पश्चिमी ओर 72 फीट की लंबाई, 30 फीट की चौड़ाई और 15 फीट की ऊँचाई में मलबा पड़ा हुआ है। उसके किनारे-किनारे 15 फीट की दीवार उठा दी गई है। कमीशन अभी वहाँ अपनी कार्यवाही नहीं कर सका है। मगर, डॉ आर्य इस मलबे को लेकर कहते हैं कि, 'यह वाद शृंगार गौरी से संबंधित है और पुराणों व विभिन्न प्रकरणों में उल्लेखित शृंगार गौरी स्थल तक कमीशन की कार्यवाही पूरी नहीं हुई है। इसलिए इसे दूसरे चरण में कराने के लिए अलग से प्रार्थना पत्र देंगे।'
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