एक ऐसी जगह जहां 200 वर्षों से हो रही साइलेंट रामलीला

एक ऐसी जगह जहां 200 वर्षों से हो रही साइलेंट रामलीला
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भारत में इन दिनों नवरात्रि का त्योहार धूमधाम से मनाया जा रहा है और इसके साथ ही रामलीला का मंचन भी शुरू हो चुका है। रामलीला सदियों से चली आ रही परंपरा है, जिसे अलग-अलग राज्यों में विभिन्न तरीके से प्रस्तुत किया जाता है। कुछ जगहों पर रामलीला दशहरा तक चलती है तो कहीं दीपावली तक। आमतौर पर, रामलीला में कलाकार डायलॉग बोलकर रामायण की कहानी को जीवंत करते हैं। लेकिन आज हम आपको राजस्थान के झुंझुनू जिले के बिसाऊ की एक खास रामलीला के बारे में बताएंगे, जो बाकी जगहों से बिल्कुल अलग है। यहां की रामलीला पूरी तरह से मूक होती है, यानी इसमें कोई भी कलाकार डायलॉग नहीं बोलता।

झुंझुनू की अनोखी मूक रामलीला

राजस्थान के झुंझुनू जिले के बिसाऊ में हर साल मूक रामलीला का आयोजन होता है। इस रामलीला की खासियत यह है कि इसके सभी पात्र बिना बोले इशारों से अपनी बात दर्शकों तक पहुंचाते हैं। यह मूक रामलीला लगभग 15 दिनों तक चलती है और इसे देखने के लिए पूरे देश से लोग आते हैं। खास बात यह है कि यह परंपरा आज की नहीं, बल्कि लगभग 200 साल पुरानी है।

मूक रामलीला की शुरुआत कैसे हुई?

एक रिपोर्ट के अनुसार, 200 साल पहले झुंझुनू जिले के बिसाऊ में जमना नाम की एक साध्वी रहती थीं। उन्होंने एक दिन गांव के कुछ बच्चों को इकट्ठा किया और उनसे रामलीला का मंचन करवाया। लेकिन बच्चों को डायलॉग बोलने में कठिनाई हो रही थी। तब साध्वी ने उन्हें इशारों में अभिनय करने की सलाह दी। तभी से मूक रामलीला की परंपरा शुरू हो गई।

कहा जाता है कि जब पहली बार यह मूक रामलीला हुई थी, तब साध्वी ने अपने हाथों से राम, लक्ष्मण और सीता समेत सभी पात्रों के मुखौटे बनाए थे। यहां तक कि उनके परिधान भी साध्वी ने खुद तैयार किए थे। धीरे-धीरे इस रामलीला को देखने वालों की संख्या बढ़ने लगी, तो इसे गांव के बाहर सड़क किनारे आयोजित किया जाने लगा।

मूक रामलीला की खासियत

इस रामलीला में कलाकार बिना बोले अपनी भावनाओं और संवादों को इशारों और चेहरे के हाव-भाव से प्रस्तुत करते हैं। यह देखना बेहद दिलचस्प होता है कि बिना एक भी शब्द बोले, कलाकार किस तरह रामायण की कहानी को जीवंत करते हैं।

आकर्षण का केंद्र

झुंझुनू की यह मूक रामलीला हर साल लोगों के आकर्षण का केंद्र बनती है। इसकी अनोखी प्रस्तुति और 200 साल पुरानी परंपरा इसे और भी खास बनाती है। अगर आप कभी राजस्थान के झुंझुनू जाएं, तो इस अद्भुत मूक रामलीला को जरूर देखें।

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