एक देश तभी बनता है, जब आसपास के शहर एक दूसरे से जुड़े हुए होते हैं. लेकिन क्या कभी आपने किसी ऐसे शहर के बारे में सुना है, जो अपने ही देश का नहीं है. यह शहर अपने देश से पूरी तरह से कटा हुआ है. द्वितीय विश्व युद्ध के वक्त ये शहर जर्मनी के कब्जे में था. जी हां, हम बात कर रहे हैं कैलिनिनग्राद की, जो रूस का एक शहर है, लेकिन रूस से दूर. करीब चार लाख की आबादी वाला यह शहर बेशक लिथुआनिया और पौलैंड के बीच स्थित है, लेकिन इस क्षेत्र में प्रवेश के लिए रूसी वीजा की जरूरत पड़ती है. इस शहर में जाने के लिए लोगों को दूसरे देश की सीमा पार करके जाना पड़ता है.
कैलिनिनग्राद शहर बाल्टिक सागर में गिरने वाली प्रीगोलिया नदी के मुहाने पर स्थित है. मध्य युग में, यह शहर पुराने प्रशिया का त्वांगस्ते नाम का कस्बा था. दरअसल, प्रशिया उत्तरी उत्तरी यूरोप का एक जर्मन एतिहासिक राज्य बना था. 18वीं और 19वीं शताब्दियों में यह राज्य अपने चरम सीमा पर था, लेकिन बाद में इस राज्य का अस्तित्व ही मिट गया और इसका अधिकांश भाग कम्यूनिस्ट पूर्वी जर्मनी, पोलैंड और रूस ने ले लिया. कैलिनिनग्राद शहर में वर्ष 1255 में उत्तरी क्रुसेड्स के दौरान, टीटोनिक नाइट्स द्वारा एक नया किला बनाया गया था. द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान यानी 1944 में ब्रिटिश सेना ने इस शहर पर भारी बमबारी की थी, जिससे यह शहर पूरी तरह तबाह हो गया और इसके बाद 1945 में जब यह रूसी शहर बना तो इसकी आबादी (जर्मन नागरिक) भाग गई या उसे भागने पर मजबूर कर दिया गया. अब यहां रहने वाले लगभग 87 फीसदी लोग रूसी मूल के हैं.
चूंकि यह रूसी शहर लिथुआनिया और पौलैंड के बीच ही है और यहां के निवासियों को अपने देश में जाने के लिए दूसरे देश से होकर गुजरना पड़ता है, इसलिए पोलैंड और रूसी संघ के बीच एक समझौता किया गया है. इसके अनुसार, यहां के निवासियों के लिए एक विशेष कार्ड बनाया गया है, जिससे वो पोलैंड के शहरों से होते हुए बे रोक-टोक के बार-बार अपने देश यानी रूस की यात्रा कर सकें.
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