उत्तराखंड भारत के पौराणिक स्थलों में से एक है, यहाँ का शांत वातावरण ऋषि-मुनियों को अपनी ओर आकर्षित करता है, इसी कारण से यह स्थान तपोभूमि के लिए भी उपयुक्त माना जाता है. उत्तराखंड में ऐसे बहुत से मंदिर है, जो पौराणिक काल से यहाँ उपस्थित है. लेकिन यहाँ एक मंदिर ऐसा है, जिसके विषय में यहाँ के लोगों का मानना है कि इस मंदिर में विराजमान माता उत्तराखंड की रक्षा करती है. इस मंदिर की और भी कई विशेषता है आइये जानते है.
उत्तराखंड के श्रीनगर से लगभग 15 किलोमीटर दूर माता का सिद्धपीठ स्थित है, जिसे धारी माता के नाम से जाना जाता है. माना जाता है कि इस मंदिर में विराजित माता धारी कई वर्षों से इस राज्य की रक्षा करते आ रहीं है. यहाँ के स्थानीय लोगों की माने तो उत्तराखंड के सभी धार्मिक स्थलों की रक्षिका माता धारी ही है. इसी वजह से इनकी पूजा पूर्ण विधि-विधान के साथ की जाती है. ताकि माता कभी कुपित न हों व हमेशा इस राज्य की रक्षा करती रहें.
इस मंदिर की विशेष बात यह है कि दिन में तीन बार माता का रूप परिवर्तित होता है, जिसमे सुबह के समय कन्या रूप, दोपहर के समय युवती रूप व शाम में समय वृद्ध रूप में माता अपने भक्तों को दर्शन देती है, जो भक्त बद्रीनाथ धाम की यात्रा पर जाते है, यहाँ रूककर माता के दर्शन करने के पश्चात ही आगे बढ़ते है.
पौराणिक मान्यता के अनुसार एक प्राकृतिक आपदा के कारण माता की प्रतिमा बहकर एक चट्टान के समीप धारों नामक गाँव के पास मिली थी. तभी गाँव के निवासियों में यहाँ धारी माता को स्थापित कर उनके मंदिर का निर्माण करवाया था. तभी से हर आने-जाने वाले भक्त माता के दर्शन करने के बाद ही आगे की यात्रा तय करते है. कहा जाता है कि कुछ वर्ष पूर्व केदारनाथ में जो प्रलय आया था वह धारी माता के क्रोध का कारण था.
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