बरेली : एक ओर तो देशभर में सुरक्षित प्रसव, सुरक्षित मातृत्व की बात की जाती है। प्रेग्नेंसी के पहले और प्रेग्नेंसी के बाद की स्वास्थ्य जागरूकता की बात कही जाती है लेकिन आज भी देश में प्रसूताओं के लिए सुविधाऐं उस स्तर पर उपलब्ध नहीं है जिस स्तर की बात की जाती है। एक गर्भवती महिला ने जब तांगे में ही बच्चे को जन्म दे दिया तो स्वास्थ्य अमले के सारे दावों की पोल खुल गई। हालांकि तांगे में प्रसव करवाने के दौरान परिजन को चिकित्सकों का साथ मिल गया। मगर आशा कार्यकर्ताओं की हड़ताल होने से प्रसूता को मुश्किलों का सामना करना पड़ा।
जी हां, उत्तरप्रदेश के बरेली के एक गांव में प्रसूता महिला प्रेमवती को तेज़ दर्द हो रहा था लेकिन ऐंबुलेंस की सुविधा नहीं थी। ऐसे में परिजन महिला को तांगे में बैठा कर ले गए। जब महिला को प्रसव पीड़ा अर्थात् दर्द अधिक होने लगा तो परिजन ने उसे हिम्मत बंधाई। परिजन प्रसूता को लेकर मीरगंज सामुदायिक प्राथमिक स्वाथ्य केंद्र पहुंचे लेकिन यहां पर आशा कार्यकर्ताओं की हड़ताल होने से महिला को उचित सहयोग नहीं मिल पाया।
दूसरी ओर महिला की हालत बिगड़ती जा रही थी। परिजन महिला को स्वास्थ्य केंद्र के अंदर ले जाते इसके पहले ही महिला की पीड़ा बढ़ गई और फिर चिकित्सकों के सहयोग से उसका प्रसव तांगे में ही करवाना पड़ा। ऐसे में महिला ने बच्चे को तांगे में ही जन्म दिया। इस घटना के बाद स्वास्थ्य अमले में हड़कंप मच गया।
अब इस घटना को लेकर स्वास्थ्य विभाग में चर्चा हो रही है। सीएमओ ने इस घटना को लेकर जानकारी मांगी और खुद भी अस्पताल पहुंचे। प्रसूता की बहन शांति का कहना था कि उसकी बहन को तांगे में बैठाकर स्वास्थ्य केंद्र लाया जा रहा था। आशा कार्यकर्ताओं की हड़ताल के कारण हमें मुश्किल उठानी पड़ी।
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