'उम्र के प्रमाण के लिए आधार कार्ड मान्य नहीं..', सुप्रीम कोर्ट का फैसला

'उम्र के प्रमाण के लिए आधार कार्ड मान्य नहीं..', सुप्रीम कोर्ट का फैसला
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नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने एक हाई कोर्ट के फैसले को खारिज करते हुए मोटर दुर्घटना मुआवजा मामले में पीड़ित की उम्र का निर्धारण करने के लिए आधार कार्ड में दी गई जन्म तिथि को स्वीकार करने से मना कर दिया। कोर्ट ने कहा कि मृतक की उम्र का सही निर्धारण स्कूल लीव सर्टिफिकेट के आधार पर किया जा सकता है, जिसे किशोर न्याय अधिनियम 2015 की धारा 94 के तहत मान्यता प्राप्त है।

यह मामला मुआवजे से संबंधित था, जिसमें मोटर दुर्घटना दावा न्यायाधिकरण (MACT) ने 19,35,400 रुपये का मुआवजा तय किया था। लेकिन हाई कोर्ट ने इसे घटाकर 9,22,336 रुपये कर दिया, मृतक की उम्र को 47 वर्ष मानते हुए 13 का गुणक लागू किया। अपीलकर्ताओं ने तर्क किया कि मृतक की वास्तविक उम्र 45 वर्ष थी, इसलिए 14 का गुणक लागू होना चाहिए।

सुप्रीम कोर्ट ने अपीलकर्ताओं के तर्कों को मानते हुए कहा कि स्कूल लीव सर्टिफिकेट के आधार पर उम्र का निर्धारण उचित है। कोर्ट ने मृतक के परिवार को 15 लाख रुपये का मुआवजा देने का आदेश दिया, जिसमें 8% ब्याज भी शामिल होगा, जो क्लेम फाइल करने की तारीख से लागू होगा। इस निर्णय से स्पष्ट होता है कि सुप्रीम कोर्ट ने आधार कार्ड को उम्र के प्रमाण के रूप में उपयुक्त नहीं माना और सही दस्तावेजों के आधार पर मुआवजे का निर्धारण करने पर जोर दिया है।

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