नई दिल्ली: दिल्ली शराब घोटाले को लेकर केंद्रीय जाँच एजेंसी प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने अदालत में चार्जशीट दाखिल कर दी है। ED की चार्जशीट के मुताबिक, आम आदमी पार्टी (AAP) ने शराब घोटाले के जरिए जुटाए गए रुपए को गोवा विधानसभा चुनाव में खर्च किया था। वहीं दिल्ली के सीएम और AAP सुप्रीमो अरविंद केजरीवाल ने लम्बी जांच के बाद ED द्वारा कोर्ट में दाखिल की गई चार्जशीट को काल्पनिक करार दिया है।
ED की चार्जशीट में खुलासा।
— Jitender Sharma (@capt_ivane) February 2, 2023
विजय नायर ने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की बात आरोपी समीर महेंद्रू से फ़ेसटाइम वीडियो से कराई।
विजय नायर ने ₹100 करोड़ किकबैक के जरिये लिये।
गोवा के चुनावों में हुआ इन रिश्वत के पैसों का इस्तेमाल। pic.twitter.com/ZNi2nPlPFJ
बता दें कि, दिल्ली की बहुचर्चित शराब घोटाले की जाँच कर रही केंद्रीय एजेंसी ने गुरुवार 02 फरवरी, 2023 को दिल्ली की रोज एवेन्यु कोर्ट में पूरक आरोपपत्र दायर किया है। चार्जशीट में AAP के कम्युनिकेशन इंचार्ज विजय नायर, कारोबारी सरथ रेड्डी, बिनॉय बाबू, अभिषेक बोएनपल्ली और अमित अरोड़ा को अभियुक्त बनाया गया है। हालांकि, ED के इस आरोपपत्र में दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया का नाम नहीं है। ED ने अदालत से कहा है कि अभी भी मामले की जाँच जारी ही है।
जांच एजेंसी के मुताबिक, AAP के कम्युनिकेशंस इंचार्ज विजय नायर के निर्देश पर गोवा चुनाव अभियान के दौरान AAP की सर्वे टीमों में शामिल रहे वॉलंटियर्स को लगभग 70 लाख रुपए का नकद दिए गए थे। आरोपपत्र में आगे कहा गया है कि विजय नायर ने AAP की ओर से एक दक्षिण भारतीय ग्रुप से 100 करोड़ रुपए की रिश्वत ली थी। इस ग्रुप से आंध्र प्रदेश की सत्ताधारी YSR कांग्रेस पार्टी के सांसद मगुन्टा श्रीनिवासुलु रेड्डी, उनके बेटे राघव मगुन्टा, अरबिंदो फार्मा के डायरेक्टर पी सरथ चंद्र रेड्डी जुड़े हुए हैं।
ED की चार्जशीट के अनुसार, नई आबकारी नीति के तहत लाइसेंस के लिए रिश्वत ली गई थी। रिश्वत की राशि के भुगतान का इंतज़ाम हैदराबाद के कारोबारी अभिषेक बोएनपल्ली ने दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के करीबी सहयोगी दिनेश अरोड़ा के साथ मिलकर किया था। आरोपपत्र में यह भी खुलासा हुआ है कि इंडोस्पिरिट्स के मालिक समीर महेंद्रु और अरविंद केजरीवाल के बीच फेसटाइम वीडियो कॉल पर बातचीत हुई थी। ED के मुताबिक, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कथित तौर पर समीर महेंद्रू से विजय नायर पर विश्वास करने के लिए कहा था। केजरीवाल ने कथित तौर पर महेंद्रू से कहा था कि, 'विजय मेरा लड़का है, तुम्हें उस पर विश्वास करके उसके साथ चलना चाहिए।'
ED Chargesheet "Fiction" है
— Aam Aadmi Party Delhi (@AAPDelhi) February 2, 2023
ED ने पूरे कार्यकाल में 5,000 Chargesheet File की होगी
कितने लोगों को सजा हुई? सारे Case फ़र्ज़ी होते हैं..
ED का इस्तेमाल केवल सरकारें गिराने, MLA ख़रीदने के लिए होता है
—CM @ArvindKejriwal pic.twitter.com/XeCtt7UMmY
ED की चार्जशीट को केजरीवाल ने बताया मनघढ़ंत:-
बता दें कि, ED के आरोपपत्र को दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने पूरी तरह मनगढ़ंत करार दिया है। उन्होंने दावा किया कि ED ने इस सरकार के कार्यकाल में 5,000 से अधिक चार्जशीट दाखिल की हैं। इन मामलों में कितनों को सजा हुई है? उन्होंने सभी मामलों को झूठा बताते हुए कहा कि ED का इस्तेमाल राज्य सरकारों को अस्थिर करने और गिराने के लिए किया जा रहा है।
क्या है दिल्ली का शराब घोटाला:-
मुख्य सचिव की रिपोर्ट के मुताबिक, केजरीवाल सरकार द्वारा लाइ गई नई आबकारी नीति के अंतर्गत शराब कारोबार में गुटबाजी और एकाधिकार चल रहा था। यह भी आरोप लगाया गया है कि नई शराब नीति के तहत शर्तों का उल्लंघन करने वाली कंपनियों को भी शराब के लाइसेंस अवैध तौर पर वितरित किए गए थे। रिपोर्ट्स के अनुसार, दिल्ली के डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया ने उपराज्यपाल (LG) वीके सक्सेना की अनिवार्य स्वीकृति के बगैर ही आबकारी नीति में परिवर्तन किए थे।
मनीष सिसोदिया ने शराब विक्रेताओं द्वारा लाइसेंस के लिए भुगतान की जाने वाली लाइसेंस फीस पर 144.36 करोड़ रुपए की रियायत दी थी। शराब विक्रेताओं ने यह छूट कोरोना महामारी के नाम पर प्रदान की गई थी। इतना ही नहीं, सिसोदिया ने बीयर पर प्रति पेटी 50 रुपए के आयात पास शुल्क को भी ख़त्म कर दिया था। इसके साथ ही, विदेशी शराब की कीमतों में संशोधन करके शराब विक्रेताओं को अनुचित तरीके से फायदा दिया था। CBI द्वारा दर्ज की गई FIR के मुताबिक, एल-1 लाइसेंस अवैध तौर पर जारी किए गए थे। इसके लिए वकायदा रिश्वत ली गई थी। यह भी पता चला है कि एक व्यापारी ने डिप्टी सीएम सिसोदिया के सहयोगी द्वारा संचालित कंपनी को 1 करोड़ रुपए रुपए दिए थे। जाँच में यह भी खुलासा हुआ था कि L-1 लाइसेंस के लिए व्यापरियों से करोड़ों रुपए लिए जा रहे थे। बता दें कि, शराब नीति के तहत घोटाले के आरोप को सीएम केजरीवाल लगातार नकार रहे थे। लेकिन जैसे ही इस संबंध में जांच के आदेश हुए, दिल्ली सरकार ने फ़ौरन अपनी शराब नीति वापस ले ली और पुरानी नीति लागू कर दी। ऐसे में दिल्ली सरकार पर शक और गहरा गया कि, अगर कोई घोटाला नहीं था, तो नीति वापस क्यों ली गई ?
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