हरियाणा और जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव के परिणाम मंगलवार को घोषित कर दिए गए हैं। इन चुनावों में कांग्रेस को जहां हरियाणा में करारी हार का सामना करना पड़ा है, वहीं जम्मू-कश्मीर में भी पार्टी का प्रदर्शन निराशाजनक रहा है। कांग्रेस की इस हार के बाद INDI अलायंस के अन्य दलों द्वारा भी पार्टी पर निशाना साधा जा रहा है। इसी क्रम में, आम आदमी पार्टी (AAP) ने भी कांग्रेस को एक बड़ा झटका दिया है।
AAP ने दिल्ली चुनाव में अकेले उतरने की घोषणा की
आम आदमी पार्टी की राष्ट्रीय प्रवक्ता प्रियंका कक्कड़ ने स्पष्ट रूप से कहा है कि पार्टी आगामी दिल्ली विधानसभा चुनाव में अकेले ही मुकाबला करेगी। प्रियंका कक्कड़ ने कांग्रेस को ओवर कॉन्फिडेंट बताते हुए कहा कि कांग्रेस ने अपने अति आत्मविश्वास के कारण इस चुनाव में अच्छा प्रदर्शन नहीं किया। उन्होंने कहा, “एक तरफ अति आत्मविश्वास वाली कांग्रेस है और दूसरी तरफ अहंकारी बीजेपी। हम दिल्ली में पिछले 10 वर्षों में जो किया है, उसके आधार पर चुनाव लड़ेंगे।”
केजरीवाल का बयान: अति आत्मविश्वास से बचें
आम आदमी पार्टी के संयोजक और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने भी मंगलवार को हरियाणा चुनाव के परिणामों पर अपनी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि इस चुनाव के परिणाम का सबसे बड़ा सबक यह है कि चुनावों में कभी भी अति आत्मविश्वासी नहीं होना चाहिए। केजरीवाल ने कहा, “हरियाणा में चुनाव के नतीजे दिखाते हैं कि किसी को भी चुनाव को हल्के में नहीं लेना चाहिए। हर चुनाव और हर सीट चुनौतीपूर्ण होती है।” उनका यह बयान इस बात का संकेत है कि पार्टी भविष्य में चुनावों को लेकर गंभीरता से योजना बनाएगी।
दिल्ली विधानसभा चुनाव की तैयारी
दिल्ली में अगले विधानसभा चुनाव की उम्मीद 2025 की शुरुआत में है। 2020 में हुए विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी ने 70 में से 62 सीटों पर जीत हासिल की थी, जबकि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने 8 सीटें जीती थीं। उस चुनाव में कांग्रेस का खाता भी नहीं खुला था। इसके अलावा, हाल ही में हुए लोकसभा चुनाव 2024 में भाजपा ने दिल्ली की सभी 7 लोकसभा सीटों पर विजय प्राप्त की थी।
कांग्रेस का संकट
कांग्रेस की इस हार के बाद पार्टी की स्थिति गंभीर होती जा रही है। इन चुनावों में निराशाजनक प्रदर्शन ने यह संकेत दिया है कि कांग्रेस को अपनी रणनीतियों में सुधार करने की आवश्यकता है। INDI अलायंस के अन्य दलों के निशाने पर आने के बाद कांग्रेस को अब अपनी साख को बनाए रखने के लिए ठोस कदम उठाने होंगे।
अगले चुनावों की रणनीति
आम आदमी पार्टी ने अब स्पष्ट कर दिया है कि वे अकेले ही चुनावी मैदान में उतरेंगे। इस कदम से यह स्पष्ट होता है कि पार्टी अपने आधार को और मजबूत करना चाहती है। जबकि कांग्रेस को यह विचार करना होगा कि वे अपने वोटरों को कैसे फिर से आकर्षित कर सकते हैं। इस स्थिति में, दिल्ली का राजनीतिक परिदृश्य बेहद दिलचस्प हो गया है। सभी राजनीतिक दल अपनी रणनीतियों को लेकर गंभीर हैं और यह देखना होगा कि कौन सा दल आगामी चुनाव में कितनी सफलता प्राप्त करता है।
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