बांग्लादेशी घुसपैठियों के फर्जी दस्तावेज़ों पर AAP विधायक महेंद्र गोयल के हस्ताक्षर, वोटर ID, आधार कार्ड बरामद

बांग्लादेशी घुसपैठियों के फर्जी दस्तावेज़ों पर AAP विधायक महेंद्र गोयल के हस्ताक्षर, वोटर ID, आधार कार्ड बरामद
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नई दिल्ली: दिल्ली पुलिस ने रिठाला विधानसभा से आम आदमी पार्टी (AAP) के विधायक मोहिंदर गोयल को अवैध बांग्लादेशी अप्रवासियों से कथित संबंधों के मामले में दो नोटिस जारी किए हैं। यह मामला बेहद गंभीर है क्योंकि इसमें उन दस्तावेज़ों पर गोयल के हस्ताक्षर और मुहर होने के आरोप हैं, जो अवैध बांग्लादेशी घुसपैठियों के लिए फर्जी पहचान बनाने के लिए इस्तेमाल किए गए थे।  

दिल्ली पुलिस के मुताबिक, यह मामला दिसंबर 2024 में हुए एक ऑपरेशन से जुड़ा है, जिसमें अवैध अप्रवासी गिरोह का पर्दाफाश किया गया था। इस गिरोह में बांग्लादेशी नागरिकों सहित 11 लोगों को गिरफ्तार किया गया था। ये संदिग्ध फर्जी आधार कार्ड, मतदाता पहचान पत्र, और अन्य सरकारी दस्तावेज बनाने के लिए फर्जी वेबसाइटों का उपयोग कर रहे थे। आगे की जांच में यह खुलासा हुआ कि जब्त किए गए दस्तावेज़ों में आप विधायक मोहिंदर गोयल के हस्ताक्षर और मुहर शामिल हैं। पुलिस का कहना है कि अप्रवासियों और बिचौलियों से पूछताछ के दौरान गोयल के कथित संबंधों का पता चला।  

आम आदमी पार्टी ने इस मामले को "राजनीतिक बदले" का नाम दिया है। पार्टी का कहना है कि भाजपा चुनाव नजदीक आते ही विपक्षी नेताओं को झूठे मामलों में फंसाने और सरकारी एजेंसियों का दुरुपयोग करने में जुट जाती है। AAP ने इसे भाजपा की "नकारात्मक राजनीति" का हिस्सा करार दिया है। इस मामले ने एक बड़े सवाल को जन्म दिया है: यदि जनता द्वारा चुने गए प्रतिनिधि ही अवैध घुसपैठियों को देश में बसाने लगेंगे, तो उनमें और आतंकियों में क्या फर्क रह जाएगा?  घुसपैठियों का यह नेटवर्क न केवल देश की सुरक्षा के लिए खतरा है, बल्कि मतदाता सूची में शामिल होकर ये देश की राजनीति को भी प्रभावित करते हैं।  

सीमा पार से घुसपैठ कर रहे आतंकियों और इन अवैध अप्रवासियों में क्या अंतर है? आतंकी भी तो किसी ना किसी तरह भारत में घुसने की फ़िराक में रहते हैं, ताकि यहाँ वे अपनी जिहादी गतिविधियों को अंजाम दे सकें। जबकि घुसपैठियों को वोट बैंक के लालच में बसा लेने वाले नेता उनकी उपस्थिति को वैधता देते हैं। यह प्रवृत्ति केवल देश की सुरक्षा को कमजोर करती है और आम जनता के लिए गंभीर समस्याएँ खड़ी करती है।  

दिल्ली का यह मामला कोई पहली घटना नहीं है। उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी (सपा) के विधायक इरफान सोलंकी का नाम भी ऐसा ही विवादित मामला सामने आया था। कानपुर में सोलंकी पर आरोप था कि उन्होंने कई अवैध घुसपैठियों को न केवल पनाह दी, बल्कि उनके लिए फर्जी वोटर आईडी और आधार कार्ड तक बनवाए। यह स्वाभाविक है कि ऐसे घुसपैठिए उन्हीं नेताओं को वोट देते हैं जिन्होंने उन्हें बसाया है, लेकिन सवाल यह है कि क्या ये नेता देश की सुरक्षा के खतरों को पूरी तरह से नजरअंदाज कर रहे हैं?  

इन घुसपैठियों की बढ़ती संख्या न केवल देश की जनसंख्या संतुलन को बिगाड़ती है, बल्कि स्थानीय नागरिकों के रोजगार, शिक्षा, और संसाधनों पर भी बोझ डालती है। ये फर्जी दस्तावेजों के आधार पर सरकारी योजनाओं का लाभ उठाते हैं, जिससे असली जरूरतमंदों को उनके हक से वंचित होना पड़ता है। नेताओं का यह रवैया, जिसमें वे अवैध घुसपैठियों को वोट बैंक के रूप में देखते हैं, बेहद चिंताजनक है। यदि जनप्रतिनिधि ही इस तरह के कामों में लिप्त पाए जाते हैं, तो लोकतंत्र और राष्ट्रीय सुरक्षा का भविष्य अंधकारमय हो सकता है।  

यह मामला केवल एक विधायक या एक पार्टी तक सीमित नहीं है। यह पूरे राजनीतिक तंत्र और हमारी सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल खड़ा करता है। क्या हमारे चुने हुए प्रतिनिधि अपने राजनीतिक स्वार्थों के लिए देश की सुरक्षा से समझौता कर रहे हैं? यह सवाल हर जागरूक नागरिक के दिमाग में उठना चाहिए। देश को इन खतरों से बचाने के लिए समय रहते कठोर कदम उठाने की जरूरत है, वरना भविष्य में इसके गंभीर परिणाम हो सकते हैं।

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