नई दिल्ली: दिल्ली में 1984 के सिख विरोधी दंगों के पीड़ित परिवारों के लिए बड़ी राहत की घोषणा की गई है। उपराज्यपाल वी. के. सक्सेना के एक अहम फैसले में, दिल्ली सरकार ने सरकारी नौकरियों में आयु और शैक्षणिक योग्यता में छूट देने का निर्णय लिया है। यह कदम उन परिवारों की कठिनाइयों को ध्यान में रखते हुए उठाया गया है, जो दंगों के बाद गंभीर आर्थिक और सामाजिक समस्याओं का सामना कर रहे हैं।
इससे पहले, दिल्ली सरकार के मल्टी-टास्किंग स्टाफ (MTS) पदों के लिए 10वीं पास होना जरूरी था, लेकिन अब दंगा पीड़ित परिवारों के लिए इस योग्यता को घटाकर 8वीं कक्षा कर दिया गया है। इस बदलाव का उद्देश्य अधिक लोगों को नौकरी के लिए योग्य बनाना और उनके आर्थिक हालात में सुधार लाना है।
सरकार ने यह भी सुनिश्चित किया है कि यदि किसी उम्मीदवार ने आयु सीमा पार कर ली है, तो उनके परिवार में से किसी और व्यक्ति, जैसे उनके बच्चों, को नौकरी के अवसरों के लिए विचार किया जा सकेगा। पहले आयु सीमा में छूट दी गई थी, लेकिन कई उम्मीदवार शैक्षिक योग्यता की वजह से बाहर हो गए थे, जिससे यह कदम जरूरी हो गया।
दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधन समिति और पीड़ितों के प्रतिनिधिमंडलों ने उपराज्यपाल से इस मुद्दे पर पुनर्विचार करने का अनुरोध किया था। इसके बाद राजस्व विभाग ने आयु और शैक्षिक योग्यता दोनों में छूट का प्रस्ताव रखा। विचार-विमर्श के बाद, मुख्य सचिव ने शैक्षणिक आवश्यकताओं पर ध्यान केंद्रित करने का सुझाव दिया, जिसे सेवा विभाग ने एक नीति के रूप में तैयार किया और उपराज्यपाल ने इसे मंजूरी दी।
यह फैसला दिल्ली विधानसभा चुनावों के करीब आने के समय लिया गया है। फरवरी 2025 में चुनाव होने की उम्मीद है, हालांकि पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने मांग की है कि चुनाव महाराष्ट्र और झारखंड के साथ नवंबर में ही कराए जाएं।
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