देवी भागवत पुराण के अनुसार जिस तरह साल में चार बार नवरात्र आते हैं और जिस प्रकार नवरात्रि में देवी के नौ रूपों की पूजा की जाती है, ठीक उसी तरह गुप्त नवरात्र में दस महाविद्याओं की साधना की जाती है। गुप्त नवरात्रि ख़ास कर तांत्रिक क्रियाएं, शक्ति साधना, महाकाल आदि से संबंधित लोगों के लिए विशेष महत्त्व रखती है।
इस दौरान देवी भगवती के साधक बेहद कड़े नियमों का पालन करते हुए व्रत और साधना करते हैं। इस दौरान लोग लंबी साधना कर दुर्लभ शक्तियों की प्राप्ति करने की कोशिश करते हैं। आषाढ़ नवरात्रि जिसे गुप्त नवरात्री या वरही नवरात्रि के नाम से भी जाना जाता है नौ दिवसीय वराही देवी को समर्पित उत्सव है। गुप्त नवरात्री के दिन तांत्रिकों और साधकों के लिए बेहद शुभ माने जाते है।
इस नवरात्र में भक्त उपवास रख कर और श्लोकों एवं मंत्रों का जप करके देवी के प्रति अपनी भक्ति प्रदर्शित करते हैं। यह माना जाता है कि इस नवरात्री के दौरान देवी तत्काल भक्तों की प्रार्थनाओं पर ध्यान देती हैं और उनकी इच्छाओं को पूर्ण करती हैं। वराही देवी को तीन रूपों में पूजा की जाता है: दोषों को हटाने वाली देवी, धन और समृद्धि का उपहार देने वाली देवी और ज्ञान देने वाली देवी।
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