अब्राहम लिंकन ने कहा था, मैं अपने दुश्मनो को खत्म कर देता हु, उन्हें दोस्त बना कर! मगर क्या असल जिंदगी मे ये मुमकिन है. हम सुनते है दुश्मन का दुश्मन हमारा दोस्त, जिससे हमें फायदा हो और अगर हम किसी के दुश्मन हो तो इस परिश्थिति मे हमारे दुश्मन एक हो जाएगे. तब हमारा क्या रवैया होगा. दुश्मन को दोस्त बनाना भी एक कला है और ये कला हर किसी को नहीं आती.
एक बात पर गौर करे आखिर दुश्मन बनते कैसे है. क्या हमेशा सामने वाले की गलती होती है और अगर हम उस स्थान पर आये तो? दुश्मन बनने का पहला कारण अहंकार होता है, हम अहंकार के कारण किसी को नजरअंदाज करते है. यह व्यवहार दो व्यक्तियों के रिश्ते मे कटुता लाते है. दुश्मन बनने का दूसरा कारण गलतफहमी भी होता है, किसी दूसरे को न समझना. खैर हम यहाँ अनजाने मे बने दुश्मनो की बात कर रहे है.
दुश्मनो को दोस्त बनाने का सबसे आसान तरीका है थोड़ा सा झुकना, थोड़ा सा विनम्र होना. यदि अपनी गलती हो तो उसे स्वीकारना. यदि दूसरे की गलती हो तो उसे अनभिज्ञ व्यवहार कर गलतफहमी को दूर करना. यकीन मानिए अगर आपमें ये कला है तो आने वाले वक्त मे पेश चुनौतियां अपने आप हार जाएगी. कई बार यह इतना आसान भी नहीं होता, मगर दुश्मन को दोस्त बनाना बहुत जरूरी हो तो किसी बिचौलिए की मदद भी ले सकते है. इसे व्यवहार कौशलता कहते है, जो हर किसी को नहीं आती.
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