नई दिल्ली : हर साल रमजान के महीने में नेताओं द्वारा इफ्तार का आयोजन किया जाता है. कांग्रेस अध्यक्ष बनने के बाद राहुल गाँधी ने भी पहली बार इफ्तार का आयोजन किया जिसमें शामिल होने के लिए विपक्षी दलों को आमंत्रित किया गया लेकिन संपूर्ण विपक्ष की झलक नहीं दिखाई देने से यह आयोजन फीका रहा .
बता दें कि समाजवादी सहित कुछ विपक्षी पार्टियों का कोई भी प्रतिनिधि राहुल की इफ्तार में शामिल नहीं हुआ इससे इफ्तार में 'विपक्षी एकता' को झटका लगा है .राहुल गाँधी ने लगभग सभी विपक्षी दलों के नेताओं को आमंत्रित था. 2019 लोकसभा चुनाव को देखते हुए उम्मीद भी थी कि इस इफ्तार में विपक्षी दल शामिल होंगे ,लेकिन इसमें कई दिग्गज गायब रहे. ऐसे में तीसरे मोर्चे का नेतृत्व करने वाले नेताओं की गैरमौजूदगी काफी कुछ कह गई.
उल्लेखनीय है कि विपक्ष के जो नेता इस इफ्तार में शामिल नहीं हुए उनमें जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला, एनसीपी प्रमुख शरद पवार, समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव, आरएलडी के अजीत सिंह, बिहार के पूर्व उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव, तृणमूल कांग्रेस सुप्रीमो एवं पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और बसपा सुप्रीमो मायावती भी शामिल हैं. जबकि पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी, पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह . गुलाम नबी आजाद, मल्लिकार्जुन खड़गे, जर्नादन द्विवेदी, मोतीलाल वोरा, आनंद शर्मा, दिल्ली की पूर्व सीएम शीला दीक्षित, मोहसिना किदवई उपस्थित थे.
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