भारत की आजादी के बाद से देश में कई राजनेताओं ने अपनी अपनी राजनीति करना शुरू कर दिया था। लेकिन इसके बावजूद देश में ऐसे भी नेता थे जो राजनीति के अलावा धर्म के लिए भी कुछ न कुछ करते रहते थे। ऐसा ही एक नाम है मौलाना अबुल कलाम आज़ाद या अबुल कलाम गुलाम मुहियुद्दीन का जिन्होने देश को आजादी के बाद कई अहम फैसलों में अपना सहयोग प्रदान किया है। आजाद का जन्म 11 नवंबर 1888 को मक्का उस्मानी साम्राज्य में हुआ था।
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अबुल कलाम आजाद एक मुस्लिम राजनेता थे और उन्होने देश के लिए कई महत्वपूर्ण कार्य किए हैं। वे एक प्रसिद्ध भारतीय मुस्लिम विद्वान थे और साथ ही वे कवि, लेखक, पत्रकार और भारतीय स्वतंत्रता सेनानी भी रहे। भारत की आजादी के वाद वे एक महत्त्वपूर्ण राजनीतिक रहे। वे महात्मा गांधी के सिद्धांतो का समर्थन करते थे। उन्होने हिंदू-मुस्लिम एकता के लिए कार्य किया और वे अलग मुस्लिम राष्ट्र (पाकिस्तान) के सिद्धांत का विरोध करने वाले मुस्लिम नेताओ में से थे। इसके अलावा उनकी खिलाफत आंदोलन में महत्वपूर्ण भूमिका रही।
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बता दें कि 1923 में आजाद भारतीय नेशनल काग्रेंस के सबसे कम उम्र के प्रेसीडेंट बने। वे 1940 और 1945 के बीच काग्रेंस के प्रेसीडेंट रहे साथ ही आजादी के वाद वे भारत के उत्तर प्रदेश राज्य के रामपुर जिले से 1952 में सांसद चुने गए और वे भारत के पहले शिक्षा मंत्री भी बने। अबुल कलाम आजाद की मृत्यु 22 फरवरी 1958 को दिल्ली में हुई थी।
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