नई दिल्ली: इन दिनों हिन्दू बहुल भारत में हिन्दू धर्म के प्रति अनाप शनाप बोलने का फैशन बन गया है। कुछ असामाजिक तत्व तो समाज में पहले से ही थे, लेकिन राजनेताओं के बयानों से उन्हें और हवा मिलती दिखाई दे रही है। तमिलनाडु के मंत्री उदयनिधि स्टालिन हों, समाजवादी पार्टी (सपा) नेता स्वामी प्रसाद मौर्या हों या फिर बिहार के पूर्व शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर। बीते कुछ दिनों से सबके निशाने पर हिन्दू धर्म ही रहा है और सबने दुनिया के सबसे प्राचीन धर्मों में से एक पर भद्दी टिप्पणियां करने में कोई कसर नहीं छोड़ी। अगर उन्हें ही सख्त हिदायत दे दी गई होती, तो शायद बात आज यहाँ तक नहीं आती, अब तो फेसबुक जैसे सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर खुलेआम हिन्दू देवी देवताओं को गंदी गन्दी गालियां दी जा रही है।
फेसबुक लिंक :-https://www.facebook.com/garva.se.kaho.mahadeva.madaracoda.hai.ak?mibextid=ZbWKwL
यूँ कहने को तो फेसबुक, नफरती धार्मिक टिप्पणियों पर फ़ौरन संज्ञान लेता है और अकाउंट तक ब्लॉक कर देता है, लेकिन जब निशाने पर हिन्दू धर्म हो, तो फेसबुक का दोगलापन नज़र आने लगता है। ऐसा ही एक फेसबुक पेज इन दिनों वायरल हो रहा है, जिसमे हिन्दुओं के आराध्य देव, महादेव, श्री राम और माता सीता को लेकर गन्दी गन्दी गालियां दी गईं हैं और भद्दी तस्वीरें भी लगाई गईं हैं, लेकिन इस पर अभी तक फेसबुक का ध्यान नहीं गया है। इस पेज पर इतनी अपमानजनक बातें हैं, जिन्हे लिखा या देखा भी नहीं जा सकता। इस तरह के सैकड़ों पेज सोशल मीडिया पर मौजूद हैं, लेकिन उनपर कोई कार्रवाई नहीं होती, क्योंकि हिन्दू समुदाय 'सर तन से जुदा' के नारों के साथ सड़कों पर नहीं उतरता, उत्पात नहीं मचाता, इसलिए शायद ये माना ही नहीं जाता कि उनकी भी भावनाएं आहत होती हैं। राजनेताओं को भी इसमें कोई वोट बैंक दिखाई नहीं देता, इसलिए वो भी इस मुद्दे को उठाना जरूरी नहीं समझते। हाँ, यदि आप हिन्दुओं के टुकड़े कर दो, तो वो राजी हो सकते हैं, वो दलित, OBC, ठाकुर, बनिया की राजनीति कर लेंगे, क्योंकि इसी में उन्हें फायदा नज़र आता है। गौर करने वाली बात ये भी है कि, इनके सबके निशाने पर हिन्दू धर्म ही रहता है, जो वसुधैव कुटुंबकम (पूरा विश्व एक परिवार) और सर्वे भवन्तु सुखिनः (सभी सुखी रहें) की बात करता है, दूसरे धर्मों पर आप राजनेताओं के बयान भी नहीं देखेंगे। जैसे मौलवी इलियास शराफुद्दीन जब शिवलिंग को प्राइवेट पार्ट बताता है, तो किसी राजनेता का मुंह नहीं खुलता, अदालतें भी स्वतः संज्ञान नहीं लेती और कोई कार्रवाई नहीं होती।
कल्पना कीजिए, यदि इस तरह की कोई टिप्प्पणी किसी दूसरे धर्म के लिए की गई होती, तो अभी राजनेता भी भर-भरकर बयान देते, मीडिया पर बहस चल रही होती, कुछ तथाकथित सेक्युलर तख्तियां लेकर कार्रवाई की मांग करने लगते, सड़कों पर उन्मादी भीड़ उतर चुकी होती, हो सकता है कुछ लोगों की हत्या भी हो जाती। लेकिन, इस मामले पर सभी मौन हैं, क्योंकि निशाना हिन्दू समुदाय है, जो भारत में कहने को तो बहुसंख्यक है, लेकिन उसके अधिकार शायद अल्पसंख्यकों से भी बेहद कम हैं। हम भारत सरकार के IT मंत्रालय से इस तरह के मामलों का संज्ञान लेने और दोषियों पर कड़ी कार्रवाई करने का आग्रह करते हैं, ताकि देश के सांप्रदायिक सौहार्द और बहुसंख्यक समुदाय की आस्था को ठेस न पहुंचे।
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