नई दिल्ली: जम्मू कश्मीर के कठुआ में 8 साल की लड़की से बलात्कार और उन्नाव में किशोरी से गैंगरेप के मामलों की ख़बरें आग की तरह देश के साथ-साथ पुरे विश्व में भी फ़ैल गई है, पूरी दुनिया इन जघन्य अपराधों पर भारत के क़दमों का इंतज़ार कर रही है. इन घटनाओं पर अब तक पीएम मोदी की चुप्पी को देखते हुए, दुनिया भर से 600 शिक्षाविदों और बुद्धिजीवियों ने पीएम मोदी को खुला खत लिखकर इन घटनाओं के सन्दर्भ में जवाब माँगा है.
इस खत में कठुआ और उन्नाव बलात्कार मामलों पर अपनी नाराजगी का इजहार करते हुए शिक्षाविदों ने प्रधानमंत्री मोदी पर देश में बने गंभीर हालात पर चुप्पी साधे रहने का आरोप लगाया है, यह खत ऐसे समय आया है जब देश में बच्चियों की अस्मत पर लगातार हमले हो रहे हैं और उसकी आह विदेशों तक लगातार पहुँच रही है, हालांकि शनिवार को ही देशभर में आक्रोश के बीच केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 12 वर्ष और उससे कम उम्र की बच्चियों से बलात्कार के मामले में दोषी पाए जाने पर मृत्युदंड सहित कड़े दंड के प्रावधान वाले अध्यादेश को मंजूरी दी है.
प्रधानमंत्री को जो खत भेजे गए हैं उनमे शिक्षाविदों ने लिखा है कि कठुआ और उन्नाव की घटनाओं के बाद अपराधियों को बचाने के लिए प्रशासन द्वारा उठाए गए कदमों से उन्हें निराशा हुई है, पत्र में लिखा गया है कि कठुआ और उन्नाव की घटनाएं कोई नई नहीं थी. लगातार ऐसी घटनाएं हो रही हैं जिसमें अल्पसंख्यक धार्मिक समुदायों, दलितों, आदिवासियों और महिलाओं को निशाना बनाया जा रहा है. इस खत पर भारत, ऑस्ट्रेलिया, अमेरिका, लंदन, जर्मनी, नीदरलैंड, स्विट्जरलैंड, संयुक्त अरब अमीरात, आयरलैंड, कनाडा और कुछ अन्य देशों के 637 शिक्षाविदों ने हस्ताक्षर किए हैं, जिनमे न्यूयॉर्क विश्वविद्यालय , ब्राउन विश्वविद्यालय, हार्वर्ड, कोलंबिया विश्वविद्यालय जैसे विश्वस्तरीय संस्थानों के विद्वान् भी शामिल हैं, अब देखना यह है कि पीएम मोदी इन खतों का क्या जवाब देते हैं ?
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