गाजियाबाद: उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद के एक हिंदू परिवार को कथित तौर पर इस्लाम धर्म अपनाने के लिए मजबूर किया जा रहा है और ऐसा ना करने पर उन्हें जान से मारने की धमकियां भी दी जा रही हैं। इलाके में रहने वाले इकलौते हिंदू परिवार ने अपने पड़ोसियों के हाथों गंभीर उत्पीड़न और हिंसा की शिकायत की है, जिससे डर और अनिश्चितता का माहौल पैदा हो गया है।
हिन्दुओं के मुहल्ले में सुरक्षित है मुसलमान।
— सनातनी हिन्दू राकेश (मोदी का परिवार) (@Modified_Hindu9) July 15, 2024
लेकिन मुसलमानों के मोहल्ले में क्यूँ नहीं सुरक्षित है हिंदू परिवार?
गाजियाबाद के लोनी में हिंदू परिवार पर बनाया जा रहा है धर्म परिवर्तन का दबाव।
गाजियाबाद का लोनी बना मिनी पाकिस्तान। pic.twitter.com/LdSfjQVwjx
रिपोर्ट के अनुसार, यह घटना तब सामने आई जब पीड़ित परिवार ने यासीन नामक व्यक्ति, उसके बेटों और स्थानीय मुस्लिम समुदाय के कई अन्य सदस्यों के खिलाफ औपचारिक शिकायत दर्ज कराई। पीड़ित परिवार के अनुसार, हमलावरों ने न केवल जान से मारने की धमकी दी है, बल्कि उनके साथ मारपीट भी की है। एक बेहद दर्दनाक घटना में, मुस्लिम कट्टरपंथियों ने उनकी बेटी के कपड़े फाड़ दिए और घर की महिला सदस्यों के साथ मारपीट की। स्थिति तब और बिगड़ गई जब समूह ने कथित तौर पर बेटी को किडनैप कर लिया और उसे पास के रेलवे ट्रैक पर ले गए। वहां, उन्होंने उसे धमकी दी कि अगर वह इस्लाम धर्म अपनाने के लिए राजी नहीं हुई तो वे उसे जान से मार देंगे।
हिंदू परिवार को जबरन धर्म परिवर्तन और जान से मारने की धमकी
— उत्तम मिश्रा जी (बीजेपी ) (@CHAMBAL_WALE) July 14, 2024
गाजियाबाद, यूपी: इलाके में रहने वाले एकमात्र हिंदू परिवार को धमकाने के आरोप में इस्लामिस्ट यासीन, उसके बेटों और इस्लामिस्टों की पूरी कॉलोनी के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है।
पीड़ित परिवार के मुताबिक, इस्लामिस्टों ने उनकी… pic.twitter.com/frmv75IDyU
पुलिस में शिकायत देने के बावजूद पीड़ित परिवार ने अधिकारियों की प्रतिक्रिया पर नाराज़गी जताई है। उनका दावा है कि अपराधियों के खिलाफ उचित कार्रवाई नहीं की गई है, जिससे उन्हें आगे भी धमकियों और हिंसा का सामना करना पड़ सकता है। परिवार ने बार-बार पुलिस से हस्तक्षेप की मांग की है, लेकिन उन्हें लगता है कि उनकी दलीलों को अनदेखा किया जा रहा है। पीड़ित परिवार के मुखिया का कहना है कि, "हम अपनी जान को लेकर लगातार डर में रहते हैं। पुलिस हमारी चिंताओं को गंभीरता से नहीं ले रही है, और हम पूरी तरह असुरक्षित महसूस करते हैं। हम केवल शांति से रहना चाहते हैं और उत्पीड़न के डर के बिना अपने धर्म का पालन करना चाहते हैं।" इस बीच, लोनी के सहायक पुलिस आयुक्त सूर्यबली मौर्य ने बताया कि मामले की जांच की जा रही है और विस्तृत जांच के बाद आवश्यक कदम उठाए जाएंगे।
गैर-मुस्लिम होना दुर्भाग्यपूर्ण, उन्हें इस्लाम में लाने की जरूरत :-
दरअसल, ऐसी घटनाओं के पीछे मुख्य वजह ये है कि, अधिकतर मुसलमानों का मानना है कि, गैर-मुस्लिम लोग गलत रास्ते पर चल रहे हैं और उन्हें इस्लाम कबूल करवाना मुसलमानों का फर्ज है, इससे अल्लाह खुश होगा। मुगलों ने इसी कारण कई लोगों की हत्याएं तक करवा दी, क्योंकि वे इस्लाम कबूलने को राजी नहीं थे। आतंकी भी यही करते हैं। कश्मीर भी आपको याद होगा, जिसमे तीन विकल्प दिए गए थे, इस्लाम कबुलो, भाग जाओ, या मारे जाओ। अफगानिस्तान में जब तालिबान शासन आया, तब भी हिन्दू-सिखों को यही तीन विकल्प मिले थे। पाकिस्तान-बांग्लादेश में आए दिन हिन्दू-सिखों की बच्चियों के किडनैप और जबरन धर्मांतरण की ख़बरें आती रहती हैं। अफगानिस्तान में तालिबान आने के बाद सिखों-हिन्दुओं को यही विकल्प दिए गए। और वे पीड़ित भारत आ गए, लेकिन यहाँ के कुछ विपक्षी दल, इन पीड़ितों को नागरिकता देने के CAA कानून का विरोध कर रहे हैं, क्योंकि उनका मुस्लिम वोट बैंक इसके विरोध में है।
हालाँकि, ऐसा नहीं है कि, ये सोच सिर्फ आतंकियों, मुगलों की रही है, मौजूदा समय में कई मौकों पर मौलाना-मौलवियों और मुस्लिम नेताओं के बयानों में भी यही सोच दिखती है। आपने भगोड़े इस्लामिक उपदेशक ज़ाकिर नाइक के भाषण सुने होंगे, उसमे भी यही बातें सुनने को मिलती हैं। एक ने तो खुलेआम कह भी दिया है, वो हैं ममता बनर्जी सरकार में मंत्री फिरहाद हाकिम। फिरहाद हाकिम ने कहा था कि, "जो लोग इस्लाम में पैदा नहीं हुए, वे दुर्भाग्य के साथ पैदा हुए। अगर हम उन्हें दावत (इस्लाम कबूलने का निमंत्रण) दे सकें और उनमें ईमान (अल्लाह के प्रति विश्वास) ला सकें, तो हम अल्लाह को खुश कर देंगे।"
उन्होंने कहा था कि, "हमें गैर-मुसलमानों के बीच इस्लाम का प्रसार करना चाहिए। अगर हम किसी को इस्लाम के रास्ते पर ला सकते हैं, तो हम धर्म के प्रसार को सुनिश्चित करके सच्चे मुसलमान साबित होंगे।" ममता सरकार में मंत्री फिरहाद हकीम ने आगे जोर देते हुए कहा कि, "जब हज़ारों लोग इस तरह से सिर पर टोपी पहनकर बैठते हैं तो हम अपनी ताकत दिखाते हैं। यह एकता को दर्शाता है और यह भरोसा दिलाता है कि कोई भी हमें दबा नहीं सकता।" फिरहाद हाकिम ने आगे कहा था कि "चूंकि हम इस्लाम में पैदा हुए हैं, इसलिए पैगंबर और अल्लाह ने हमारे लिए जन्नत का रास्ता साफ कर दिया है।" गौर करें कि, फिरहाद हाकिम, जो गैर-मुस्लिम कह रहे हैं, उसमे केवल सवर्ण हिन्दू शामिल नहीं हैं, इसमें दलित, आदिवासी, OBC, ठाकुर, बनिया, जाट, गुजर सब शामिल हैं। और तो और इसमें जैन, बौद्ध, सिख, ईसाई, पारसी, यहूदी और वे लोग भी शामिल हैं, जो किसी भी धर्म को नहीं मानते, यानी नास्तिक हैं, क्योंकि ये सब इस्लाम की नज़र में काफिर (गैर-मुस्लिम) हैं। और काफ़िरों को इस्लाम और मुसलमानों का कट्टर दुश्मन माना जाता है, जिन्हे अल्लाह अनंत नरक की आग में डालकर उन्हें सज़ा देंगे।
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