दुनियाभर में यह बात हर पति जनता है कि वह अपनी पत्नी का पहला पति है लेकिन ऐसा नहीं है. जी हाँ, शास्त्रों के अनुसार कोई भी पति अपनी पत्नी का पहला पति नहीं होता है, बल्कि वह अपनी पत्नी का चौथा पति होता है. जी हाँ, यह सुनकर आपको हैरानी जरूर हुई होगी लेकिन यह सच है. वैसे ऐसा किसी खास पुरूष के साथ नहीं होता सभी के साथ होता है. जी हाँ, हर शादीशुदा पुरूष अपनी पत्नी का चौथा पति होता है और स्त्री से विवाह के पहले ही उसकी पत्नी के तीन और पति होते हैं.
आइए जानते हैं इसके पीछे का कारण. जी दरअसल यह एक वैदिक परंपरा है जो सदियों से चली आ रही है जिसके बारे में बहुत कम लोग जानते है. कहा जाता है वैदिक परंपरा में नियम है कि स्त्री अपनी इच्छा से चार लोगों को अपना पति बना सकती है और इसी वैदिक परंपरा के कारण ही द्रौपदी एक से अधिक पतियों के साथ रही थी. वहीं इस नियम को वर्तमान में भी बनाए रखते हुए विवाह के समय और स्त्री को पतिव्रत की मर्यादा में रखने के लिए स्त्री का संकेतिक विवाह तीन देवताओं से कर दिया जाता है. कहते हैं इसमें सबसे पहले कन्या का पहला अधिकार चन्द्रमा को माना गया है, और उसके बाद विश्वावसु नाम के गंधर्व को और उसके बाद तीसरे नंबर पर अग्नि को और फिर कन्या के पति को.
जी हाँ, अंत में कन्या का अधिकार उसके पति यानि जिससे उसका विवाह हो रहा है उसे सौंपा जाता है. कहते हैं विवाह के समय मंत्रोचार के साथ ही दुल्हन का अधिकार पहले इन तीनों को सौंपा जाता है उसके बाद उसके पति को जिस कारण से हर पत्नी का पति उसका चौथा पति कहलाता है.
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