नई दिल्ली: राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) की एक रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2018 से 2020 तक देश में महिलाओं पर एसिड अटैक के 386 केस दर्ज किए गए। जिनमें कुल 62 अपराधी को दोषी पाया जा चुका है। यह जानकारी खुद देश के गृह राज्य मंत्री अजय कुमार मिश्रा ने संसद में दी। इन आंकड़ों को देखकर साफ पता चला रहा है कि लाख प्रयासों और दावों के बावजूद हर साल एसिड अटैक के तकरीबन 100 से अधिक केस सामने आ रहे है।
बता दें कि महिलाओं पर होने वाले एसिड अटैक के केसों पर अगर सालाना निगाह डालें तो 2018 में 131, 2019 में 150 और 2020 में 105 केस दर्ज किए गए। जिसके विपरीत साल 2018 में 28, 2019 में 16 और 2020 में कुल 18 व्यक्तियों को ऐसे केसों में दोषी ठहराया गया। यानी वर्ष 2018 से 2020 तक सामने आए 386 मामलों में केवल 62 लोग ही मुजरिम करार दिया जा चुका है। इतना ही नहीं गृह राज्य मंत्री अजय कुमार मिश्रा ने संसद में कहा है कि गृह मंत्रालय (MHA) ने संबंधित राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में एसिड की बिक्री को विनियमित और अधिसूचित करने के लिए सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में मॉडल ज़हर नियम (Model Poisons Rules) भी पेश किया जा चुका है।
ज़हर अधिनियम 1919 के मुताबिक, राज्य/केंद्र शासित प्रदेश अपने ज़हर संबंधी नियमों के जरिए थोक और खुदरा बिक्री सहित एसिड और संक्षारक रसायनों के कब्जे और बिक्री को विनियमित करते हैं। गृह राज्य मंत्री अजय कुमार मिश्रा ने जानकारी देते हुए कहा है कि एसिड और संक्षारक रसायनों की बिक्री का डेटा केंद्रीय रूप से नहीं रखा जा रहा है।
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