टीनएज में कील-मुंहासे होना बहुत ही आम और साधारण सी बात है। जी दरअसल अधिकांश युवाओं को कील-मुंहासों के दौर से गुजरना पड़ता है और कील-मुंहासों को हटाना आसान नहीं है। कई बार कील-मुंहासे अपने आप खत्म हो जाते हैं लेकिन 3-4 साल का दौर चेहरे के लिए बहुत बुरा रहता है। जी दरअसल जब कील-मुंहासे समय के साथ गायब हो जाते हैं तो कुछ लोगों में इन कील-मुंहासे के दाग-धब्बे रह जाते हैं जो बहुत दिनों तक शर्मिंदगी का एहसास कराते हैं। ऐसे में अगर आप इन धब्बों को हटाना चाहते हैं तो इन उपायों को आजमा सकते हैं।
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कोलेजन को सक्रिय किया जाता- वैज्ञानिकों ने कील-मुंहासे को हटाने के लिए माइक्रोनिडलिंग विधि की एक तकनीक इजाद की है जिससे दाग-धब्बे की जगह बहुत छोटी सी निडल को घुसाई जाती है और इससे स्किन के नीचे कोलेजन को सक्रिय कर दाग-धब्बे को हमेशा के लिए खत्म करने को प्रोत्साहित किया जाता है। जी दरअसल प्रोफेसर बाबर राव ने अपने साथी शोधकर्ताओं के साथ लगभग 60 मरीजों पर इसका सफल प्रयोग किया है। वहीं उसके बाद बाबर राव ने बताया कि एक्ने स्कार और डार्क स्किन यानी पिंपल्स के कारण चेहरे पर दाग-धब्बे वाले मरीजों में माइक्रोनिडलिंग विधि से प्रत्येक दो सप्ताह में एक बार इलाज किया गया। 12 सप्ताह तक माइक्रोनिडलिंग विधि से इलाज करने के बाद चेहरे से दाग-धब्बे हमेशा के लिए गायब हो गए।
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क्या है माइक्रोनिडलिंग विधि- आपको बता दें कि माइक्रोनिडलिंग विधि एक कॉस्मेटिक प्रक्रिया है जिसमें बहुत ही सूक्ष्म निडिल का इस्तेमाल किया जाता है। इस निडिल को दाग-धब्बे वाली जगहों में घुसाया जाता है। ऐसे में इससे कोलेजन का उत्पादन बढ़ जाता है और दाग-धब्बे अपने आप घटने लगते हैं। हालाँकि इसके लिए ग्लायकोलिक एसिड केमिकल क्रीम को दाग-धब्बे वाली जगहों पर लगाई जाती है लेकिन यह क्रीम स्किन के उपरी लेयर को भी हटा देती है जिसके कारण स्किन खराब दिखने लगती है। वहीं शोधकर्ताओं ने दोनों विधि से दाग-धब्बे को हटाने के लिए प्रयोग किया जिसमें माइक्रोनिडलिंग तकनीकी ज्यादा कारगर साबित हुई।
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