आप सभी को बता दें कि हिंदू कैलेंडर के अनुसार, हर तीन साल में एक बार अतिरिक्त महीना जुड़ जाता है, जिसे अधिकमास, मल मास या पुरुषोत्तम कहा जाता है। ऐसे में सूर्य वर्ष 365 दिन और 6 घंटे का होता है। कहा जाता है चंद्र वर्ष 354 दिनों का होता है और दोनों वर्षों के बीच लगभग 11 दिनों का अंतर होता है। जी दरअसल हर साल घटने वाले इन 11 दिनों को जोड़ा जाए तो ये एक माह के बराबर होते हैं। इसी अंतर को बांटने के लिए हर तीन साल में एक चंद्र मास अस्तित्व में आता है, जिसे अधिकमास कहा जाता है।
आपको बता दें कि इस बार अधिक मास 18 सितंबर से शुरू होने वाला है और यह 16 अक्टूबर तक रहने वाला है। जी दरअसल अधिक मास को पहले बहुत ही अशुभ माना जाता था लेकिन उसके बाद श्रीहरि ने इस मास को अपना नाम दे दिया जिसके बाद से इसे शुभ माना जाने लगा। अब इस मास को नाम "पुरुषोत्तम मास" दिया गया है। जी दरअसल इस मास में भगवान विष्णु के सारे गुण पाए जाते हैं लेकिन हाँ इस मॉस में कुछ विशेष कार्य करने से बचना चाहिए। आइए बताते हैं उन कार्यों के बारे में। पौराणिक शास्त्रों के मुताबिक समस्त पीड़ा, कष्टों तथा परेशानियों से मुक्ति के लिए पुरुषोत्तम मास में निम्न एक मंत्र का निरंतर स्मरण करना होता है। मलमास का यह पवित्रतम शक्तिशाली मंत्र तब अधिक पुण्य फल देता है, जब इस मंत्र का जप करते वक़्त पीले वस्त्र धारण किए गए हो।
अधिक मास का सबसे खास मंत्र-
गोवर्धनधरं वन्दे गोपालं गोपरूपिणम्।
गोकुलोत्सवमीशानं गोविन्दं गोपिकाप्रियम्।।
जिसके साथ ही पूजा, हवन, कथाओं का श्रवण तथा दान करना भी लाभकारी माना गया है तथा धार्मिक तीर्थस्थलों पर जाकर स्नान करने से मोक्ष की प्राप्ति और अनंत पुण्यों की प्राप्ति होती हैं।
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