मिर्ज़ापुर: लगभग 27 वर्षों से देश के अलग-अलग प्रांतों में साइकिल से सफर करते हुए लगभग 5 लाख किलोमीटर का सफर तय कर चुके आदित्य को साइकिल गुरु के नाम से अच्छी खासी पहचान मिल चुकी है. उत्तर प्रदेश के फर्रुखाबाद जिले से 1992 में ट्यूशन छोड़कर शिक्षा की अलख जगाने के लिए निकले आदित्य विश्व के श्रेष्ठ गुरु के खिताब के साथ ही 57 विश्व रिकॉर्ड अपने नाम कर लिए है.
साइकिल ही उनकी पाठशाला है, जहां पहुंचते हैं वहीं पर कक्षा लगाकर लोगों को शिक्षा का महत्व बताने लगते हैं. उत्तर प्रदेश के फर्रुखाबाद के रहने वाले आदित्य को विश्व गुरु के साथ ही साइकिल गुरु के नाम से भी जाना जा रहा है. एक दौर था जब वह ट्यूशन पढ़ा कर अपना गुजारा चलाते थे. 1992 में लोगों को जागरूक करने और बच्चों को विद्यालय भेजने की ललक इस कदर पैदा हुई कि उन्होंने लखनऊ से साइकिल का सफर आरंभ कर दिया.
27 सालों में उन्होंने 19 राज्यों का भ्रमण करते हुए लगभग 120 करोड़ लोगों को संबोधित किया. आदित्य ने बच्चों को विद्यालय भेजने के लिए प्रेरणा दी. 10 हजार से ज्यादा रातें वे फुटपाथ पर गुजार चुके हैं. बीबीसी ने उन्हें दुनिया का श्रेष्ठ शिक्षक के सम्मान से नवाजा तो भारत सरकार ने संसद भवन में इनको सम्मानित किया. दोस्तों के सहयोग से आज भी उनका सफर जारी है और वह शिक्षा को सबसे बड़ा धन मानते हैं.
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