जिसने जज को दी 'हलाल' करने की धमकी, उस अदनान खान को कोर्ट से जमानत

जिसने जज को दी 'हलाल' करने की धमकी, उस अदनान खान को कोर्ट से जमानत
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लखनऊ: लखनऊ स्थित विशेष एनआईए कोर्ट ने अदनान खान नामक इस्लामी कट्टरपंथी को जमानत दे दी है, जिसे जज रवि कुमार दिवाकर को जान से मारने की धमकी देने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। अदनान खान ने सोशल मीडिया पर जज दिवाकर की तस्वीर पोस्ट करते हुए उन्हें "काफिर" कहा था और लिखा था कि "जो लोग आपके दीन के खिलाफ हैं, उनका खून हलाल है।" यानी उनकी हत्या जायज है।  यह मामला 2022 में जज द्वारा ज्ञानवापी ढांचे का सर्वे कराने का आदेश देने के बाद उभरा था, जब जज को कई बार धमकियां मिली थीं।

अदनान खान को उत्तर प्रदेश एंटी-टेररिज्म स्क्वाड (ATS) ने जून 2024 में गिरफ्तार किया था। उस पर भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 153A, 115, 506 और गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (UAPA) की धारा 13 के तहत मामला दर्ज किया गया था। अदनान ने इंस्टाग्राम पर जज की तस्वीर पोस्ट करते हुए भड़काऊ कैप्शन लिखा, जिससे धार्मिक वर्गों के बीच नफरत और वैमनस्य पैदा करने का आरोप लगा। FIR के अनुसार, अदनान की पोस्ट को कई लोगों ने देखा, जिससे कट्टरपंथियों को जज की हत्या के लिए उकसाने का प्रयास किया गया। 

इसके साथ ही अदनान की पोस्ट का उद्देश्य धार्मिक विभाजन पैदा करना था। हालांकि, अदनान के वकील ने कोर्ट में दलील दी कि उनका मुवक्किल निर्दोष है, उसकी कोई आपराधिक पृष्ठभूमि नहीं है, और उस पर लगाए गए आरोप सात साल से कम सजा वाले हैं। वकील ने यह भी तर्क दिया कि अदनान जून 2024 से जेल में है और अभियोजन पक्ष उसके खिलाफ कोई ठोस सबूत पेश नहीं कर सका। विशेष NIA जज विवेकानंद शरण त्रिपाठी ने दोनों पक्षों की दलीलों के आधार पर अदनान को जमानत देने का निर्णय लिया। जज ने कहा कि अदनान के खिलाफ दर्ज धाराओं में सजा सात साल से कम है और उसके आपराधिक रिकॉर्ड का कोई प्रमाण नहीं मिला है। इसके साथ ही, अदनान लंबे समय से जेल में था और अभियोजन पक्ष पर्याप्त सबूत पेश नहीं कर सका, जिसके आधार पर उसे जमानत दी गई।

यह ध्यान देने योग्य है कि जज रवि कुमार दिवाकर, जिन्होंने ज्ञानवापी ढांचे के सर्वे का आदेश दिया था, को कई बार धमकियां मिल चुकी हैं। जज ने अपनी सुरक्षा बढ़ाने की मांग भी की थी, लेकिन सुरक्षा इंतजामों को उन्होंने अपर्याप्त बताया। कोर्ट ने माना कि अदनान पर लगे आरोप गंभीर हैं, लेकिन सबूतों की कमी के कारण उसे जमानत देनी पड़ी।

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