सनातन धर्म में मार्गशीर्ष शुक्ल पंचमी को "विवाह पंचमी" के रूप में मनाया जाता है। इस दिन प्रभु श्रीराम और माता सीता का विवाह संपन्न हुआ था, जो रामायण के सबसे पवित्र और महत्वपूर्ण प्रसंगों में से एक है। प्रभु श्रीराम को चेतना के प्रतीक और माता सीता को प्रकृति की शक्ति का स्वरूप माना गया है। इन दोनों के मिलन को दिव्य ऊर्जा और संतुलन का प्रतीक माना जाता है। इस शुभ तिथि पर प्रभु श्री राम एवं सीता का विवाह कराने से वैवाहिक जीवन से जुड़ी परेशानियों का समाधान होता है। यह पर्व विशेष रूप से उन लोगों के लिए अत्यंत फलदायक है, जिनके विवाह में किसी प्रकार की अड़चनें आ रही हों। विवाह पंचमी का पर्व 6 दिसंबर, 2024 को मनाया जाएगा। वही इस कुछ मंत्रों के जाप से विशेष फल मिलता है।
विवाह पंचमी का महाउपाय
विवाह पंचमी पर नवविवाहित दंपति को घर आमंत्रित कर उनका सम्मान करें। उन्हें भोजन कराएं और यथाशक्ति उपहार देकर उनका आशीर्वाद प्राप्त करें। घर में राम दरबार की प्रतिमा या चित्र रखने से परिवार में एकता और सुख-शांति बनी रहती है।
विशेष मंत्र और जाप
विवाह पंचमी के दिन पीले वस्त्र पहनें और तुलसी या चंदन की माला से निम्नलिखित मंत्रों या दोहों का जाप करें। शीघ्र विवाह और सुखी वैवाहिक जीवन के लिए यह अत्यंत लाभकारी है:
प्रमुदित मुनिन्ह भावँरीं फेरीं।
नेग सहित सब रीति निवेरीं॥
राम सीय सिर सेंदुर देहीं।
सोभा कहि न जाति बिधि केहीं॥
पाणिग्रहण जब कीन्ह महेसा।
हियँ हरषे तब सकल सुरेसा॥
बेद मन्त्र मुनिबर उच्चरहीं।
जय जय जय संकर सुर करहीं॥
सुनु सिय सत्य असीस हमारी।
पूजिहि मन कामना तुम्हारी॥
नारद बचन सदा सुचि साचा।
सो बरु मिलिहि जाहिं मनु राचा॥
इस दिन की गई पूजा, पाठ और उपाय आपके वैवाहिक जीवन में सुख-शांति और खुशहाली लाने में सहायक होंगे।