29 जून को शनि कुंभ राशि में वक्री होने जा रहे हैं. शनि की बदलती चाल हमेशा ही बहुत विशेष मानी जाती है. ज्योतिष में शनि सभी ग्रहों में सबसे धीमी गति चलते हैं. किन्तु, शनि की वक्री चाल जातकों के लिए समस्या लेकर आती है. शनि 30 जून को 12:35 मिनट पर अपनी प्रिय राशि कुंभ में उल्टी चाल चलने वाले हैं. फिर भगवान शनि 139 दिनों तक वक्री रहेंगे. शनि की वक्री चाल 15 नवंबर 2024 तक रहेगी. तत्पश्चात, वो मार्गी हो जाएंगे. शनिदेव की उल्टी चाल कुछ लोगों के लिए घातक सिद्ध हो सकती है, तो वहीं कुछ लोगों को समस्याओं से निजात दिलाने वाली भी होती है. ऐसें में शनिदेव की उल्टी चाल के दुष्प्रभावों से बचने के लिए कुछ विशेष उपाय करना आवश्यक है.
शनि वक्री से बचने के लिए क्या करें?
शनि के दुष्प्रभाव से बचने के लिए प्रतिदिन शनि चालीसा का पाठ करना चाहिए. शनि वक्री के दिन शनिदेव की पूजा अवश्य करें. इसके साथ ही पीपल के पेड़ पर सरसों के तेल का दीपक प्रज्वलित करें. ऐसा करने से शुभ फल मिलते हैं.
शनि की शांति के लिए वक्री चाल में रोजाना शिवलिंग का जलाभिषेक करें तथा महामृत्युंजय मंत्र का जाप करें. ऐसी मान्यता है इससे शनि के अशुभ प्रभाव का असर नहीं पड़ता है.
शनि वक्री के चलते छाया दान करें. ऐसा करने से भी शनिदेव प्रसन्न रहते हैं. एक कटोरी में थोड़ा सरसों का तेल लेकर उसमें अपना चेहरा देखें तथा फिर इसे शनि मंदिर में रख आएं.
शनि वक्री चाल के चलते प्रतिदिन काले कुत्ते की सेवा करें. शनिवार के दिन तेल में चुपड़कर रोटी काले कुत्ते को खिलाएं. ऐसा करने से शनि प्रसन्न होते हैं तथा शनि की वक्री चाल से आपके जीवन पर बुरा प्रभाव नहीं पड़ेगा.
जिन राशियों पर शनि की वक्री चाल भारी पड़ेगी वह शनि के मार्गी होने तक प्रतिदिन का दान पुण्य करते रहें. इसके अतिरिक्त, काले कपड़े, जूता, लोहा, काले तिल, उड़द का दान करें. इससे शनि का प्रकोप नहीं झेलना पड़ता है.
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