मार्गशीर्ष माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को काल भैरव जयंती मनाई जाती है. धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक, मार्गशीर्ष कृष्ण अष्टमी को महादेव के रौद्र स्वरूप काल भैरव की उत्पत्ति हुई थी. ये भगवान महादेव के रौद्र रूप हैं. इनका सिर्फ बटुक भैरव अवतार ही सौम्य माना जाता है. प्रत्येक माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को कालाष्टमी व्रत रखा जाता है, उस दिन काल भैरव की पूजा की जाती है. जो लोग काल भैरव जयंती के दिन व्रत रखते हैं तथा विधिपूर्वक पूजा करते हैं, उनको रोग, दोष, अकाल मृत्यु के भय, तंत्र-मंत्र की बाधा से मुक्ति प्राप्त होती है. वही इस वर्ष 05 दिसंबर को काल भैरव जयंती है। आइए आपको बताते हैं भगवान काल भैरव को खुश करने के उपाय:-
गरीबों को दान करें प्रसाद:-
काल भैरव को खुश करने के लिए काल भैरव अष्टमी के दिन तैलीय खाद्य पदार्थ जैसे पापड़, पूड़ी पुए तथा पकौड़े प्रभु को भोग लगाएं। तत्पश्चात, अगले दिन इन्हें निर्धन तथा जरूरतमंद व्यक्तियों में बांट दें। ऐसा करने से आपके ऊपर प्रभु काल भैरव की विशेष कृपा बनी रहेगी।
बाबा भैरव नाथ को जलेबी का भोग लगाएं:
काल भैरव अष्टमी के दिन बाबा भैरव नाथ को जलेबी चढ़ाएं। तत्पश्चात, बची हुई जलेबी किसी काले कुत्ते को खिला दें। कुत्ता बाबा भैरव नाथ की सवारी माना जाता है। अतः बाबा भैरवनाथ को कुत्ता बहुत प्रिय होता है। कुत्ते को जलेबी खिलाने से उनकी खास कृपा आती है।
पीले रंग की पताका अर्पित करें:
काल भैरव अष्टमी के दिन साधक को प्रभु काल भैरव के मंदिर में उनकी पूजा करनी चाहिए और साथ ही पीले रंग की पताका प्रभु को चढ़ाना चाहिए।
नींबू चढ़ाएं:
काल भैरव की खास कृपा प्राप्त करने के लिए काल भैरव अष्टमी वाले दिन उन्हें 5 नींबू चढ़ाएं। अगर आप इससे चूक गए हैं तो आप निरंतर 5 गुरुवार तक भी ऐसा कर सकते हैं।
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