फाल्गुन शुक्ल एकादशी को रंगभरी एकादशी कहा जाता है. इसे आमलकी एकादशी या आंवला एकादशी भी बोला जाता है. पौराणिक परंपराओं एवं मान्यताओं के मुताबिक, रंगभरी एकादशी के दिन भगवान महादेव माता पार्वती से विवाह के पश्चात् पहली बार अपनी प्रिय काशी नगरी आए थे. इसलिए इस दिन से वाराणसी में रंग खेलने का सिलसिला आरम्भ हो जाता है, जो निरंतर 6 दिन तक चलता है. वही इस बार फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की आमलकी एकादशी तिथि का आरम्भ 20 मार्च को रात 12 बजकर 21 मिनट से होगा तथा 21 मार्च को रात 2 बजकर 22 मिनट पर इसका समापन हो जाएगा. उदया तिथि के मुताबिक, आमलकी एकादशी का व्रत 20 मार्च, बुधवार को रखा जाएगा.
रंगभरी एकादशी के चमत्कारी उपाय
आर्थिक समस्याएं होंगी दूर
प्रातः काल स्नान करके पूजा का संकल्प लें. घर से एक पात्र में जल भरकर महादेव मंदिर जाएं. साथ में अबीर, गुलाल, चंदन एवं बेलपत्र भी ले जाएं. पहले शिवलिंग पर चंदन लगाएं. फिर बेलपत्र एवं जल चढ़ाएं. आखिर में अबीर और गुलाल चढ़ाएं. फिर ईश्वर से आर्थिक समस्याओं को समाप्त करने की प्रार्थना करें.
विवाह संबंधी बाधाएं
विवाह संबंधी बाधाओं से बचने के लिए रंगभरी एकादशी के दिन उपवास रखें. सूर्यास्त के पश्चात् भगवान महादेव एवं पार्वती की संयुक्त पूजा करें. पूजा के बाद उनको गुलाबी रंग का अबीर चढ़ाएं. सुखद वैवाहिक जीवन की प्रार्थना करें.
स्वास्थ्य बाधाओं से मुक्ति
रंगभरी एकादशी के दिन मध्य रात्रि में शिव जी की पूजा करें. शिव जी को जल एवं बेल पत्र समर्पित करें. फिर लाल, पीला एवं सफेद रंग का अबीर महादेव को चढ़ाएं. फिर "ॐ हौं जूं सः" की 11 माला का जाप करें.
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