अपनी मर्जी से कहीं भी और किसी के साथ भी रह सकती है बालिग महिला - दिल्ली हाई कोर्ट

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नई दिल्ली: दिल्ली उच्च न्यायालय ने मंगलवार को एक सुनवाई के दौरान कहा कि बालिग महिला या लड़की यह चुनने के लिए आज़ाद है कि उसे कहां और किसके साथ रहना है. उच्च न्यायालय ने ऐसा कहकर शीर्ष अदालत द्वारा तय सिद्धांत को दोहराया है. अदालत में एक परिवार की याचिका पर सुनवाई चल रही थी, जिसमें परिवार ने अपनी 20 वर्षीय लड़की के 20 सितंबर से कथित तौर पर लापता होने की बात कही थी. 

हालाँकि, बाद में परिवार ने कहा कि लड़की को कोई गलत तरीके से फुसलाकर परिवार से दूर ले गया है. इस मामले में दिल्ली उच्च न्यायालय  ने उस 20 साल की लड़की का भी बयान सुना. लड़की वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से पेश हुई थी. लड़की ने कहा कि उसने अपनी मर्जी से घर छोड़ा है. लड़की ने यह भी बताया कि उसने अपनी मर्जी से विवाह कर लिया है. लड़की का बयान सुनने के बाद अदालत ने दिल्ली पुलिस को आदेश दिया है कि लड़की को सुरक्षित उसके पति के घर तक छोड़कर आया जाए. 

पुलिस से यह भी कहा गया कि वह लड़की के परिवार को समझाएं कि वे कानून को अपने हाथ में ना लें. यही नहीं इलाके के बीट अफसर का नंबर भी दंपत्ति को देने के लिए कहा गया, जिस पर आवश्यकता पड़ने पर फोन किया जा सके. अदालत में यह फैसला न्यायमूर्ति विपिन सांघी और रजनीश भटनागर की बेंच ने दिया.

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