काबुल: तालिबान द्वारा शासित अफगानिस्तान के 2 स्कूलों में छात्राओं को जहर देने का मामला सामने आया है। इसके बाद प्राथमिक स्कूलों की लगभग 80 लड़कियों को अस्पताल में एडमिट कराया गया है। रिपोर्ट के अनुसार, घटना 3 और 4 जून 2023 की है। शिक्षा विभाग के प्रांतीय प्रमुख ने इस बारे में जानकारी दी है। ये दोनों स्कूल उत्तरी अफगानिस्तान के सर-ए-पुल प्रांत के संगचरक जिले में स्थित हैं।
Afghanistan Watch: Around 80 #Afghan school girls hospitalised after alleged poison attack.
— Asif (@Asiftintoiya12) June 5, 2023
According to the reports, nearly 80 girls in grades 1-6 were poisoned at two schools in Afg's Sar-e-Pul province. Afghan Education department is investigating the incidents. pic.twitter.com/t4ePIl14Gf
रिपोर्ट के अनुसार, नसवान-ए-कबोद आब स्कूल में 60 को और नसवान-ए-फैजाबाद स्कूल में 17 छात्राओं को जहर दिया गया है। शिक्षा विभाग के प्रांतीय प्रमुख मोहम्मद रहमानी ने मीडिया को जानकारी दी है कि दोनों स्कूल आसपास ही मौजूद हैं और एक के बाद एक इनको निशाना बनाया गया। घटना के बाद छात्राओं को अस्पताल ले जाया और अब उनकी हालत ठीक हैं। रहमानी का कहना है कि, घटना की विभागीय जाँच जारी है। प्रारंभिक पूछताछ से पता चला है कि किसी ने द्वेष में इन घटनाओं को अंजाम दिया है। हालाँकि ऐसे करने वाले के संबंध में कोई जानकारी नहीं दी गई है। न ही यह स्पष्ट है कि छात्राओं को किस प्रकार का जहर दिया गया था। पीड़ित छात्राओं की आयु के संबंध में भी नहीं बताया गया है। रहमानी ने सिर्फ इतना बताया है कि पीड़ित छात्राएँ कक्षा 1 से 6 की हैं।
तालिबान राज में छठी कक्षा से आगे नहीं पढ़ सकती लड़कियां :-
बता दें कि अगस्त 2021 से अफगानिस्तान की सत्ता पर तालिबान का शासन है। उसके बाद से निरंतर औरतों के अधिकार और उनकी स्वतंत्रता का दमन किया गया है। लड़कियों की छठी से आगे की पढ़ाई पर बैन है। इससे पहले 2015 में अफगानिस्तान के हेरात प्रांत में स्कूल की 600 बच्चियों को जहर देने का मामला सामने आया था। उस वक़्त कई मानवाधिकार संगठनों ने इसके लिए तालिबान को ही जिम्मेदार ठहराया था।
उल्लेखनीय है कि, नवंबर 2022 में अफगानिस्तान के पड़ोसी मुल्क ईरान में भी ऐसी ही एक घटना हुई थी। यहाँ कई स्कूलों में छात्राओं को जहर दिया गया था। हजारों छात्राओं ने खुद बताया था कि वे इन घटनाओं में जहरीले धुएं से बीमार हो गई थीं। मगर यह बात कभी सामने नहीं आई कि इन हमलों के पीछे कौन थे या फिर इन्हें अंजाम देने के लिए किन केमिकल्स का इस्तेमाल किया गया था।
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