आफताब-शाहरुख़-अब्बास ने किया नाबालिग का गैंगरेप, 14 दिन की रिमांड, जज सैयद ने दिए 2दिन

आफताब-शाहरुख़-अब्बास ने किया नाबालिग का गैंगरेप, 14 दिन की रिमांड, जज सैयद ने दिए 2दिन
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अहमदाबाद: वडोदरा गैंगरेप मामले में पुलिस द्वारा गिरफ्तार किए गए पाँच आरोपियों की रिमांड गुरुवार (10 अक्टूबर, 2024) को समाप्त हो गई है, जिसके बाद उन्हें पुनः कोर्ट में पेश किया जाएगा। वडोदरा पुलिस ने मंगलवार (8 अक्टूबर, 2024) को सभी आरोपियों को कोर्ट में पेश किया था और 14 दिन की रिमांड की माँग की थी। मामले की सुनवाई कर रहे जज एम. एम. सैयद ने पुलिस की माँग के बावजूद केवल 2 दिन की रिमांड दी।। 

गिरफ्तार आरोपियों में मुख्य आरोपी मुन्ना अब्बास बंजारा, मुमताज उर्फ ​​आफताब बंजारा, और शाहरुख बंजारा हैं, जिन पर पीड़िता के साथ गैंगरेप का आरोप है। इनके दो अन्य साथी, अजमल सत्तार और सैफ अली मेहंदी हसन, भी घटना के दौरान मौजूद थे, लेकिन बाद में भाग गए थे। कोर्ट में पेशी के दौरान जज ने आरोपियों से पूछा कि क्या उन्हें पुलिस से कोई शिकायत है, जिस पर सभी ने इनकार किया। लेकिन जब बहस चल रही थी, तब मुन्ना ने जज के सामने कहा, "जज साहब... मुझे जेल जाना है। मुझे मार देंगे साहब..." इसके बाद कोर्ट रूम में वकीलों ने तालियाँ बजाईं और 'गुजरात पुलिस जिंदाबाद' के नारे लगाए।

आरोपियों को कोर्ट में कोई वकील नहीं मिला, इसलिए जिला विधिक सहायता समिति ने उनकी तरफ से एक वकील नियुक्त किया। इस वकील ने रिमांड का विरोध किया और पुलिस के दावे का खंडन करते हुए कहा कि पुलिस जिस गाड़ी की बात कर रही है, वह पहले ही जब्त हो चुकी है। पुलिस ने कोर्ट में यह तर्क दिया कि चूंकि मामला गंभीर और संवेदनशील है, इसलिए आरोपियों की 14 दिन की रिमांड जरूरी है। पुलिस ने कहा कि उन्हें आरोपियों के कपड़े जब्त करने हैं, पीड़िता का मोबाइल फोन और घटना में इस्तेमाल की गई बाइक भी बरामद करनी है। इसके अलावा, पुलिस ने यह भी बताया कि आरोपियों का मेडिकल परीक्षण बाकी है और यह जाँच करनी है कि अपराध के समय उन्होंने कहाँ शरण ली थी, उनका यूपी में कोई आपराधिक रिकॉर्ड है या नहीं, और क्या वे घटना के समय नशे में थे।

इन सब तर्कों के बावजूद जज एम. एम. सैयद ने आरोपियों की केवल 2 दिन की रिमांड को मंजूरी दी। इस मामले में वकीलों की ओर से यह माँग भी की जा रही है कि मुकदमा एक महिला अदालत में चलाया जाए। वडोदरा के एडवोकेट विराज ठक्कर ने लिखित माँग में कहा कि चूंकि पीड़िता नाबालिग है, इसलिए उसे महिला जज के समक्ष अपनी बात रखने का मौका मिलना चाहिए। वकीलों के संगठन ने भी इसका समर्थन किया है।

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