इस बार रंगों का त्योहार होली चैत कृष्ण प्रतिपदा गुरुवार 21 मार्च को मनाया जाने वाला है. ऐसे में इसके एक दिन पहले यानी 20 मार्च को होलिका दहन होगा. आप सभी को बता दें कि इस बार होलिका दहन पर दुर्लभ संयोग बन रहे हैं और इन संयोगों के बनने से कई अनिष्ट दूर होंगे. वहीं फाल्गुन कृष्ण अष्टमी 13 मार्च से होलाष्टक की शुरुआत हो गयी है और होलाष्टक आठ दिनों को होता है ऐसा कहते हैं इन दिनों कोई शुभ काम नहीं होते हैं. आप सभी को बता दें कि हिन्दू नववर्ष के पहले दिन मनेगी होली. जी हाँ हिन्दू नव वर्ष के पहले दिन होली मनायी जाएगी और उत्तर फाल्गुनी नक्षत्र में होली मनेगी. कहा जाता है यह नक्षत्र सूर्य का है और सूर्य आत्मासम्मान, उन्नति, प्रकाश आदि का कारक माना जाता है.
इससे वर्षभर सूर्य की कृपा मिलेगी और जब सभी ग्रह सात स्थानों पर होते हैं वीणा योग का संयोग बनता है और इस बार ऐसा ही है. इस बार होलिका दहन पूर्वा फाल्गुन नक्षत्र में है और यह शुक्र का नक्षत्र है जो जीवन में उत्सव, हर्ष,आमोद-प्रमोद, ऐश्वर्य का प्रतीक है. कहा जाता है भस्म सौभाग्य व ऐश्वर्य देने वाला माना जाता है और होलिका दहन में जौ व गेहूं के पौधे डालते हैं. आप सभी को बता दें कि इसके बाद शरीर में ऊबटन लगाकर उसके अंश भी डालते हैं क्योंकि ऐसा करने से जीवन में आरोग्यता और सुख समृद्धि आती है. आइए जानते हैं होलिका दहन का यह है शुभ समय.
होलिका दहन का यह है शुभ समय - 20 मार्चकी रात्रि 8.58 से रात 12.05 बजे. भद्रा का समय, भद्रा पुंछ : शाम 5.24 से शाम 6.25 बजे तक. भद्रा मुख : शाम 6.25 से रात 8.07 बजे तक.
बनना चाहते हैं मालामाल तो होली के दिन तिजोरी में रख दें यह चीज़
दुनियाभर में सबसे ज्यादा प्रचलित है होली की यह कथा, जरूर पढ़े एक बार