क्षुद्रग्रह, जिन्हें एस्टेरॉयड भी कहा जाता है, अंतरिक्ष में घूमने वाले विशाल चट्टानों और धातुओं के पिंड होते हैं। ये सूर्य की परिक्रमा करते हैं, जैसे बाकी ग्रह करते हैं। इनका आकार अलग-अलग होता है, कुछ छोटे होते हैं और कुछ कई किलोमीटर चौड़े होते हैं। इनकी खासियत यह है कि ये कभी-कभी धरती के करीब से भी गुजरते हैं और यही कारण है कि ये पृथ्वी के लिए कभी-कभी खतरा बन सकते हैं।
क्षुद्रग्रह कैसे बने?: वैज्ञानिकों का मानना है कि जब सौर मंडल का निर्माण हो रहा था, तब ग्रहों के बनने के दौरान बहुत सारी धूल, गैस और छोटे-छोटे पदार्थ एक साथ आकर बड़े ग्रह बन गए। लेकिन कुछ पदार्थ ऐसे थे जो इस प्रक्रिया में ग्रहों का हिस्सा नहीं बन पाए और अंतरिक्ष में रह गए। वही बचे हुए पदार्थ समय के साथ क्षुद्रग्रहों में बदल गए।
क्षुद्रग्रहों के प्रकार और संरचना: क्षुद्रग्रह अपने आकार, रचना और प्रकार में अलग-अलग होते हैं। कुछ क्षुद्रग्रह चट्टानी होते हैं, जिनमें मुख्य रूप से पत्थर होते हैं, जबकि कुछ धातुओं से बने होते हैं। इनका आकार भी बहुत भिन्न हो सकता है, कुछ इतने छोटे होते हैं कि उन्हें दूरबीन से भी नहीं देखा जा सकता, जबकि कुछ इतने बड़े होते हैं कि उनकी चौड़ाई कई किलोमीटर तक हो सकती है।
धरती के लिए खतरा क्यों बनते हैं?: क्षुद्रग्रह कभी-कभी अपनी कक्षा बदलते हुए धरती के नजदीक आ जाते हैं। अगर कोई बड़ा क्षुद्रग्रह धरती से टकरा जाए, तो इससे भारी तबाही हो सकती है। हालाँकि, वैज्ञानिकों ने कई तकनीकें विकसित की हैं, जिससे ऐसे खतरों का समय रहते पता लगाया जा सके। इसलिए, इनसे जुड़ी सभी जानकारी पर कड़ी नजर रखी जाती है ताकि अगर कोई खतरा हो, तो उसे पहले ही रोका जा सके।
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