आखिर कैसा है पारसी धर्म का रिवाज़...?

आखिर कैसा है पारसी धर्म का रिवाज़...?
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पारसी धर्म, जिसे जरथुस्त्र धर्म भी कहा जाता है, विश्व के सबसे पुराने और प्रभावशाली धर्मों में से एक माना जाता है। इसकी शुरुआत 7वीं शताब्दी में हुई थी, और इसकी स्थापना महान संत जरथुष्ट्र द्वारा की गई थी। पारसी धर्म को एकेश्वरवादी धर्मों का जनक भी कहा जाता है, क्योंकि यह दुनिया का पहला धर्म माना जाता है जिसने एक ईश्वर की उपासना की परंपरा को जन्म दिया।

दुनिया का पहला एकेश्वरवादी धर्म

पारसी धर्म एकेश्वरवाद पर आधारित है, जिसमें केवल एक ईश्वर अहुरा मज़्दा की पूजा की जाती है। यह माना जाता है कि एक ईश्वर में विश्वास रखने की शुरुआत इसी धर्म से हुई थी। इसके पहले, विभिन्न सभ्यताओं में बहुदेववाद प्रचलित था। अहुरा मज़्दा को ज्ञान, अच्छाई और न्याय का प्रतीक माना जाता है, और पारसी धर्म के अनुयायी इन्हीं मूल्यों को अपने जीवन में अपनाने की कोशिश करते हैं।

सिकंदर महान ने नष्ट कर दिए थे पारसी धर्म ग्रंथ

पारसी धर्म के कई धार्मिक ग्रंथों को सिकंदर महान के आक्रमण के दौरान नष्ट कर दिया गया था। इतिहासकारों के अनुसार, पारसी धर्म के 21 महत्वपूर्ण ग्रंथ जो अहुरा मज़्दा की शिक्षाओं पर आधारित थे, सिकंदर के आक्रमण में पूरी तरह से नष्ट कर दिए गए थे। इससे धर्म का प्रचार-प्रसार कठिन हो गया और इसकी जानकारी का एक बड़ा हिस्सा इतिहास में खो गया।

कुत्तों का विशेष महत्व

पारसी धर्म में कुत्तों का विशेष स्थान है। पारसी लोग मानते हैं कि कुत्तों की देखभाल करना पुण्य का काम है। उनका यह भी विश्वास है कि कुत्ते मृत्यु के बाद आत्मा को सही दिशा में मार्गदर्शन करते हैं। इसलिए, पारसी लोग कुत्तों के प्रति अत्यधिक आदर और स्नेह रखते हैं।

आग का प्रतीकात्मक महत्व

पारसी धर्म में आग को ईश्वरीय ताकत का प्रतीक माना गया है। आग को पवित्र माना जाता है और इसे हमेशा जलाए रखना एक धार्मिक परंपरा है। ईरान के यज़्द में स्थित पारसी मंदिर में, 5वीं शताब्दी से एक अग्नि निरंतर जल रही है। यह आग पारसी लोगों के लिए शक्ति, शुद्धता और देवत्व का प्रतीक है, और इसे उनके धर्म का एक महत्वपूर्ण हिस्सा माना जाता है।

पारसी समुदाय की वर्तमान स्थिति

एक समय था जब पारसी धर्म दुनिया के बड़े धर्मों में से एक हुआ करता था, लेकिन वर्तमान में इसकी संख्या काफी कम हो गई है। आज के समय में, दुनिया भर में लगभग 1 लाख से भी कम पारसी लोग हैं। धीरे-धीरे कम हो रही इस जनसंख्या के बावजूद, पारसी धर्म के अनुयायी अपनी परंपराओं और संस्कृति को बनाए रखने के लिए विशेष प्रयास कर रहे हैं।​ पारसी धर्म न केवल एक प्राचीन एकेश्वरवादी परंपरा का प्रतीक है, बल्कि इसके अनुयायी आज भी अपनी धार्मिक और सांस्कृतिक पहचान को संजोए हुए हैं। पारसी धर्म की शिक्षा, इसकी परंपराएं और इसका आध्यात्मिक दृष्टिकोण आज भी लोगों के लिए प्रेरणा का स्रोत है।

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