ईसा मसीह जिनका जन्म 25 दिसंबर को हुआ था, जिस वजह से दुनिया भर में लोग क्रिसमस को सेलिब्रेट करते है, अपने अपने घरों को सजाते है, लोगों को एक से बढ़कर एक गिफ्ट्स देते है, इतना ही नहीं इस दिन की कई सारी मान्यताएं भी है, ईसाई धर्म के अनुसार 25 दिसंबर के दिन जीसस कुवारी मरियम से जन्मे थे. अब सोचने वाली बात तो ये है कि एक कुवांरी महिला बच्चे को कैसे जन्म दे सकती है, तो हम आज आपके इस प्रश्न का भी जबाव दे देते है. दरअसल मरियम जिन्होंने जीसस को जन्म दिया था, वो नाजरथ शहर की रहने वाली थी, एक दिन परमेश्वर के दूत ने उन्हें आकर इस बारें में बताया कि उन्हें बहुत ही नेक काम के लिए चुना गया है, तो मरियम ने उनसे पूछा किस तरह का काम...तब उस दूत ने बताया की वह बिना विवाह के ही माँ बनेगी और एक बालक को जन्म देगी, जिसे दुनिया भर में येशु के नाम से जाना जाएगा, और ऐसा हुआ भी. ये तो हो गई बात जीसस के जन्म के बारें में लेकिन आज भी एक प्रश्न है कि जीसस जब ईसाई थे तो उन्हें मुस्लिम धर्म के साथ क्यों जोड़ा जाता है, तो चलिए आज इस बारें में बात करते है कि जीसस ईसाई थे या मुस्लिम....
ईसाई या मुस्लिम आखिर कौन थे जीसस: कुछ ग्रंथों और पुराणों के अनुसार, जीसस एक ही है. लेकिन उन्हें मानाने वाले दो धर्म के लोग है, ऐसा कैसे तो हम आपको विस्तार से इस बारें में जानकारी देते है, दरअसल जीसस का जन्मस्थान बेथलहम में हुआ था, जहां ईसाई और मुस्लिम धर्म को मानाने वाले लोग रहते थे, वैसे तो मरियम नाजरथ शहर की रहने वाली थी, इस बात में कोई भी शक नहीं है कि ईसाई धर्म की शुरुआत यहूदियों ने की थी और जो इस्लाम धर्म है वो अरब से आया था. ईसाईयों का मानना है कि जीसस उनके धर्म के थे तो वहीं मुस्लिम का कहना है कि ईसा उनके धर्म के थे, ये बात तो अधिकांश लोग जानते होंगे कि ईसाई धर्म, ईसा मसीह के जीवन, शिक्षाओं, मृत्यु और पुनरुत्थान पर आधारित है. जिन्होंने दुनियाभर में उस वक़्त अपनी अनोखी शक्तियों से लोगों को उनकी बीमारियों से परेशानियों से निजात दिलवाया. वहीं आज भी ईसाई धर्म के लोग उनके इन्ही कामों के लिए उन्हें याद भी करते है और अपने धर्म का प्रचार करते है और ईसाई धर्म को आगे बढ़ा रहे है. लेकिन मुस्लिम धर्म के लोगों का कहना है कि जीसस अल्लाह के बेटे है. वहीं, मुसलमानों का मानना है कि ईश्वर का वचन और इस्लाम की शिक्षाएं पैगंबर मोहम्मद साहब के द्वारा साझा की जाती हैं. माना जाता है कि मोहम्मद अंतिम पैगंबर हैं, जिन्होंने अल्लाह के कानून की शिक्षा दी और फरिश्ते जिब्रील के माध्यम से इस्लामी आस्था का खुलासा किया.
जीसस को लेकर कई तरह की है मान्यताएं: कई मान्यताएं तो ये भी है कि ईसाई मानते हैं कि पवित्र आत्मा ईश्वर है, लेकिन मुसलमान मानते हैं कि पवित्र आत्मा फरिश्ता जिब्रील है. ईसाई त्रिदेवों के सिद्धांत पर भरोसा करते थे. इस एक बात तो साफ हो जाती है कि ईश्वर पिता, पुत्र और पवित्र आत्मा के रूप में एक साथ मौजूद है. इस्लाम में ईश्वर की बहुलता को एक ईश्वर-अल्लाह की मान्यता से पूरी तरह से झुठलाता है. जबकि ईसाई धर्म इसे ही मानता है, और इसी आधार पर ईसाई धर्म की नीब भी रखी गई थी. खेर इस लेख से हमारी किसी भी धर्म को ठेस पहुंचाने की कोई मंशा नहीं है.