गर्मियों में एयर कंडीशनर और कूलर का इस्तेमाल इंडिया के अधिकांश भागों में आम होता है. आधुनिक तकनीकी विकास के साथ, मार्केट में कई तरह के एसी उपलब्ध होने लगे हैं जो सस्ते और बिजली की बचत भी करते है. ऐसे में, लोगों की एसी खरीदने की रुचि हर दिन बढ़ती ही जा रही है.
एयर कंडीशनर दो मुख्य प्रकारों में उपलब्ध होता है: स्प्लिट एसी और विंडो AC. लेकिन कभी आपने सोचा है कि एयर कंडीशनर हमेशा सफेद रंग में ही क्यों आ रहा है. इसके पीछे का कारण बहुत कम लोगों को पता होता ही है.
स्प्लिट एसी का आउटडोर यूनिट रहता है सफेद: विंडो एयर कंडीशनर में एक ही यूनिट होता है और यह खिड़की में रख दिया जाता है. इस यूनिट का बाहरी हिस्सा निकला होता है ताकि यह वातावरण से अच्छी तरह से मिल पाए. वहीं, स्प्लिट एयर कंडीशनर में इनडोर यूनिट जो कमरे के अंदर स्थापित होता है और आउटडोर यूनिट जो बाहर स्थापित होता है, दो अलग-अलग यूनिट होते हैं. आमतौर पर, एसी के बाहरी यूनिट का रंग सफेद होता है, जबकि इनडोर यूनिट का कलर अलग होने वाला है.
सफेद रंग का ही क्यों होता है?: सफेद रंग सूरज की रोशनी को अधिकतम मात्रा में प्रतिबिंबित करता है और इससे तापमान को कम करने में सहायता करता है. व्हाइट कलर या लाइट कलर सनलाइट या हीट को रिफ्लेक्ट करने का काम करता है. ऐसे में हीट का अब्जॉर्प्शन कम होता है और एसी यूनिट कम ही गर्म होता है.
नहीं होते कंपोनेंट्स खराब: सफेद रंग के एसी यूनिट की वजह से वे कम गर्म होते हैं. यह रंग केवल उनकी बाहरी प्रतिरोधक कोट को प्रभावित करता है. अंदरीय कंपोनेंट्स, जैसे कंप्रेसर, कंडेंसर, और इवैपोरेटर की हीट पर इसका कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा. जब एसी यूनिट छांव में स्थापित होती है, तो वास्तविकता यह है कि उन्हें कूलिंग के लिए कम मेहनत करना पड़ जाता है. छांव में रहने से यूनिट को सीधी सूर्य की किरणों का प्रभाव नहीं पड़ता है, इससे वह बेहतर रूप से ठंडा होता है और कम संचालित होने लग जाता है. जिसके परिणामस्वरूप, यह अधिक कूलिंग प्रदान करता है और इससे आपको बिजली बिल में बचत होती है.
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