हल्द्वानी: उत्तराखंड के हल्द्वानी मैं हाईकोर्ट के आदेश पर रेलवे की ओर से अतिक्रमण भी हटाया जा चुका है। जिसको लेकर स्थानीय लोग प्रदर्शन भी करने में ला गए हुए है। रेलवे की 78 एकड़ जमीन पर बने 4365 घरों को तोड़ा जाने वाला है। अतिक्रमण हटाओ अभियान के दायरे में आने वाले लोगों ने सरकार के विरुद्ध मोर्चा खोल दिया है। सोशल मीडिया पर इस पर जमकर हंगामा मचा है। #Haldwani बीते 2 दिनों से सोशल मीडिया के ट्रेंड में बने हुए है। सोशल मीडिया पर दावा किया जा रहा है कि उत्तराखंड गवर्नमेंट और रेल मंत्रालय एक वर्ग विशेष लोगों को टारगेट कर रही है। लोग इस अतिक्रमण हटाओ अभियान का विरोध भी करने लग गए है। ट्विटर पर चल रहे ट्रेंड अतिक्रमणकारियों को मजबूर और बेबस ठहराया जाने लगा है। ठिठुराती ठंड में रेल मंत्रालय की ओर से जारी आदेश के विरुद्ध बैठे लोगों के केस को जोरदार तरीके से उठाया जा रहा है। प्रदर्शन कर रहे लोगों के साथ एकजुटता बनाए रखने की बात कही जा रही है।
क्या है पूरा मामला?: रेलवे की 78 एकड़ जमीन पर बने 4365 घरों को तोड़ने का आदेश भी जारी कर दिया गया है। अतिक्रमण हटाओ अभियान भी चलने लगे है। अतिक्रमणकारियों का कहना है कि उनका विस्थापन भी किया जा चुका है। उनके रहने की व्यवस्था हो। इससे पहले उन्हें बेघर नहीं किया जाए। उनका कहना है कि हमारे पूर्वज कई दशकों से उस जमीन पर रह रहे हैं। रेलवे अब इसको अपनी जमीन भी कह रहे है।
कैंडल मार्च निकाल कर किया विरोध: इस केस को लेकर हजारों लोगों ने कैंडल मार्च निकाल दिया गया है। विरोध भी व्यक्त किया है। महिलाएं बच्चे और बुजुर्ग इस कैंडल मार्च में शामिल हुए। सरकार से अतिक्रमण हटाए जाने के अभियान को रोकने की अपील की है। बोला है कि अगर सरकार अतिक्रमण हटाना ही चाहती है तो पहले उन्हें विस्थापित भी किया जा चुका है। बैनर पोस्टर लेकर महिलाओं और बच्चों के साथ लोग बैठे हुए हैं। खुद के विरुद्ध कार्रवाई को गलत ठहरा रहे हैं।
हल्द्वानी में प्रदर्शन को लेकर बड़ी संख्या में पुलिस बलों की तैनाती भी की जा चुकी थी। प्रदर्शनकारियों का इस बारें में बोलना है कि सरकार इस ठंड में लोगों को राहत देने की जगह उन्हें उजाड़ रही है। स्थानीय लोगों ने अतिक्रमण हटाओ अभियान पर कहा कि किसी ने हम गरीबों के बारे में नहीं सोचा। यह सरकार हमारे साथ नाइंसाफी करती हुई दिखाई दे रही है।
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