आखिर क्यों शिवलिंग के आगे तीन बार बजाते हैं ताली?

आखिर क्यों शिवलिंग के आगे तीन बार बजाते हैं ताली?
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भगवान शिव, जिन्हें हिन्दू धर्म में महादेव और महाशक्ति का प्रतीक माना जाता है, अपने भक्तों के प्रति अत्यंत कृपालु और दयालु हैं। भक्त उन्हें प्रसन्न करने के लिए विविध तरीकों से पूजा अर्चना करते हैं। एक आम पूजा विधि में एक लोटा जल अर्पित करना होता है, जिससे भगवान शिव प्रसन्न होते हैं और भक्तों पर अपनी कृपा बरसाते हैं। हालांकि, भगवान शिव की पूजा में कई अन्य विशेष विधियाँ और अर्पण भी किए जाते हैं, जैसे दूध, दही, घी, शहद और पंचामृत से अभिषेक, फूल और बेलपत्र अर्पित करना।

इन सभी विधियों के अलावा, भगवान शिव के सामने तीन बार ताली बजाने का विशेष महत्व है। बहुत से लोग इस परंपरा के बारे में अनजान होते हैं और इसके धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व को नहीं समझते हैं। आइए विस्तार से जानें कि तीन बार ताली बजाने का क्या अर्थ है और इसका महत्व क्या है।

तीन बार ताली बजाने का अर्थ
पहली ताली: 

भगवान शिव को अपनी उपस्थिति दर्शाने के लिए बजाई जाती है। यह ताली भगवान को बताने का एक तरीका है कि भक्त पूजा में शामिल हो चुके हैं और उन्होंने अपने मन से भगवान के प्रति श्रद्धा और समर्पण व्यक्त किया है।

दूसरी ताली: 
यह ताली भक्त की भावनाओं, मन्नत और प्रार्थना को दर्शाने के लिए बजाई जाती है। जब भक्त भगवान शिव से किसी विशेष इच्छा की पूर्ति या समस्याओं के समाधान की प्रार्थना करते हैं, तो दूसरी ताली बजाकर वे अपनी इच्छाओं और भावनाओं को भगवान तक पहुंचाते हैं।

तीसरी ताली: 
यह ताली भगवान शिव से उनके चरणों में स्थान प्राप्त करने के लिए प्रार्थना के रूप में बजाई जाती है। भक्त भगवान शिव से आशीर्वाद और उनके दिव्य चरणों में जगह पाने के लिए प्रार्थना करते हैं, और इस ताली के माध्यम से वे अपनी विनम्रता और समर्पण व्यक्त करते हैं।

पौराणिक कथाएँ और ऐतिहासिक संदर्भ
रावण और ताली: 

पौराणिक कथाओं के अनुसार, लंकापति रावण ने भगवान शिव की पूजा के बाद तीन बार ताली बजाई थी। रावण ने शिव पूजा के माध्यम से भगवान शिव की कृपा प्राप्त की और इसके बाद उसे लंका का राजपाट मिला। यह कथा दर्शाती है कि ताली बजाने से शक्ति और सफलता प्राप्त होती है।

भगवान राम और ताली: 
जब भगवान राम ने समुद्र पर सेतु बनाने का निर्णय लिया, तब उन्होंने बालू से रामेश्वर ज्योतिर्लिंग की स्थापना की और पूजा की। पूजा के बाद भगवान राम ने भी तीन बार ताली बजाई थी। इसके बाद, उनके कार्य सफलतापूर्वक संपन्न हुए। यह कथा भी यह सिद्ध करती है कि ताली बजाने से कार्य में सफलता प्राप्त होती है।

भगवान शिव की पूजा में तीन बार ताली बजाने की परंपरा केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं है, बल्कि यह एक गहरी आध्यात्मिक विधि है। यह ताली बजाने के तीन चरण—अपनी उपस्थिति की घोषणा, भावनाओं और प्रार्थना की अभिव्यक्ति, और आशीर्वाद की प्रार्थना—भक्त और भगवान शिव के बीच की दिव्य संवाद को स्पष्ट करते हैं। इसलिए, जब भी आप भगवान शिव की पूजा करें, तो इन तीन ताली बजाने की विधि का पालन अवश्य करें ताकि आपकी पूजा पूर्ण और फलदायी हो सके।

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