सनातन धर्म में प्रत्येक वर्ष कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को छठ पूजा का पर्व मनाया जाता है। षष्ठी तिथि को डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है। अगले दिन उगते सूर्य को अर्घ्य देने की परंपरा है। छठ पूजा का आरम्भ नहाए खाय से होता है तथा अगले दिन खरना मनाया जाता है। वहीं, इस वर्ष नहाए खाए के साथ यानि 17 नवंबर से लोकआस्था का महापर्व आरम्भ हो रहा है जो कि 20 नवंबर तक चलेगा। छठ पूजा प्रकृति से जुड़ा त्यौहार है। आस्था के इस महापर्व में प्राकृतिक वस्तुओं की महत्वत्ता बेहद है। इसलिए इस पूजा के प्रसाद में प्राकृतिक वस्तुओं, मौसमी फलों तथा सभी प्रकार के फल-फूलों का उपयोग होता है। यह त्यौहार प्रकृति के नजदीक ले जाता है। इसके प्रसाद की बड़ी महत्वत्ता है। जानिए, हर एक तरह के प्रसाद की अहमियत...
ठेकुए में है ठंड से बचाव का उपाय:-
छठ पूजा में वैसे तो कई तरह के प्रसाद चढ़ाए जाते हैं मगर उसमें सबसे महत्वपूर्ण ठेकुए का प्रसाद होता है, जिसे गुड़ एवं आटे से बनाया जाता है। छठ की पूजा इसके बिना अधूरी मानी जाती है। छठ के सूप में इसे सम्मिलित करने के पीछे यह वजह है कि छठ के साथ सर्दी का आरम्भ हो जाता है तथा ऐसे में ठंड से बचने और स्वास्थ्य को ठीक रखने के लिए गुड़ बेहद लाभदायी होता है।
केले है फायदेमंद:-
छठ में केले की भी विशेष महत्वत्ता है। यही वजह है कि प्रसाद के तौर पर इसे बांटा तथा ग्रहण किया जाता है। इसके पीछे तर्क यह है कि छठ त्यौहार बच्चों के लिए किया जाता है तथा सर्दियों के मौसम में बच्चों में गैस की दिक्कत हो जाती है। ऐसे में उन्हें इस दिक्कत से बचाने के लिए प्रसाद में केले को सम्मिलित किया जाता है।
डाभ है बड़ा गुणकारी:-
छठ के प्रसाद में डाभ नींबू जो कि एक खास तरह का नींबू है चढ़ाया जाता है। ये नजर आने में बड़ा एवं बाहर से पीला व भीतर से लाल होता है। आपको बता दें डाभ नींबू हमारी सेहत के लिए बहुत फलदायी होता है तथा ये हमें कई बीमारियों से दूर रखता है।
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