पटना: बिहार में राजनीतिक उलटफेर के बाद सीएम नीतीश कुमार ने NDA से हटकर महागठबंधन के साथ मिलकर सरकार बना ली है तथा अपनी मंत्रिमंडल का गठन भी कर लिया है। मंत्रिमंडल में 5 मुस्लिम चेहरों को सम्मिलित किया गया है, जिनके माध्यम से सीमांचल से लेकर चंपारण और मिथिलांचल तक सभी मुस्लिम बेल्ट को साधने की कवायद की गई है। कहा जा रहा है कि नीतीश-तेजस्वी की जोड़ी ने बिहार में खड़ी हुई असदुद्दीन ओवैसी की मुस्लिम राजनीति को अब पूरी तरह खत्म करने के लिए एक सियासी बुनियाद रखी है?
मंगलवार को नीतीश मंत्रिमंडल में कुल 31 नेताओं ने मंत्री पद की शपथ ली। महागठबंधन सरकार में 5 मुस्लिम चेहरों को जगह दी गई है। जनता दल यूनाइटेड की ओर से जमा खान को मंत्री बनाया गया है, जबिक राष्ट्रीय जनता दल ने तीन मुस्लिम विधायकों को मंत्री बनने का अवसर दिया है, जिनमें शमीम अहमद, इसराइल मंसूरी एवं शाहनवाज आलम हैं। वहीं, कांग्रेस की ओर से केवल एक मुस्लिम विधायक आफाक आलम को मंत्री बनाया गया है।
बिहार में मुस्लिमों की आबादी 16 प्रतिशत है तथा मौजूदा समय में 19 विधायक हैं। इस लिहाज से मंत्रिमंडल में मुस्लिमों की आबादी के लिहाज से तो 16 प्रतिशत से अधिक भागेदारी मिली है, मगर जीते हुए विधायकों के लिहाज से 25 प्रतिशत से अधिक प्रतिनिधित्व है। बिहार में मुस्लिम बेल्ट के लिहाज से देखें तो सबसे अधिक आबादी सीमांचल में है, जिसके चलते वहां दो मुस्लिम मंत्री बनाए गए हैं। चंपारण-मिथिलांचल-दक्षिण बिहार से एक-एक मुस्लिम मंत्री बने हैं। इस प्रकार बिहार के सभी मुस्लिम क्षेत्रों को राजनीतिक संदेश देने की कवायद की है।
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