नई दिल्ली: भारत में विश्व की पहली DNA वैक्सीन को इस्तेमाल करने की हरी झंडी दे दी गई है. दरअसल अहमदाबाद स्थित Zydus Cadila ने कोरोना से जंग के खिलाफ एक DNA वैक्सीन तैयार की है. इस वैक्सीन के साथ ही भारत विश्व में पहला ऐसा मुल्क बन गया है जिसके पास इस महामारी से बचाव के लिए DNA आधारित टीका है. वहीं अब कुछ वैज्ञानिकों का कहना है कि DNA वैक्सीन अन्य टीकों से बेहतर हैं, क्योंकि इन्हें स्टोर करना आसान है. वहीं, कुछ वैज्ञानिकों का मानना है कि इस तकनीक का उपयोग डेंगू जैसी अन्य बीमारियों के लिए भी किया जा सकता है.
राजीव गांधी सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी-तिरुवनंतपुरम के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ ईश्वरन श्रीकुमार और अभी तक सहकर्मी-समीक्षा के संबंधित लेखकों में से एक ने बताया है कि, 'हम जानते हैं कि वायरस के चार सीरोटाइप्स होते हैं, किन्तु हमने पाया कि सीरोटाइप्स में जैनेटिक वेरिएशन्स थे. किसी भी सीक्वेंस में 6 प्रतिशत से अधिक अंतर होने पर उसे अलग जीनोटाइप माना जाता है. ऐसे में टीम ने एक कॉन्सेन्सुअस सीक्वेंस तैयार किया, जो सभी जीनोटाइप्स में समान था.' रिसर्चर्स ने देश के चार क्षेत्रों से वायरस को अनुक्रमित करने का सहारा लिया जो डेंगू के मामलों की रिपोर्ट करते हैं.
डेंगू की वजह बनने वाले वायरस के चार अलग-अलग वायरल एंटीजन होते हैं – अनिवार्य रूप से प्रोटीन जो संक्रमण का कारण बनते हैं और जिसके खिलाफ एंटीबॉडी तैयार की जाती हैं. वहीं वैज्ञानिकों ने वायरस के सभी चार सीरोटाइप से EDIII (लिफाफा प्रोटीन डोमेन III के लिए छोटा) नामक एक हिस्से का चयन किया, जिसे व्यापक रूप से सबसे अहम वायरल प्रोटीन माना जाता है. इसके साथ ही, वैज्ञानिकों ने DENV2 सीरोटाइप से NS1 प्रोटीन का भी चयन किया, जो इंटरनल ब्लीडिंग और ब्लड प्रेशर में गिरावट के साथ गंभीर डेंगू की वजह बनता है.
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