भोपाल: मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के बाद एक और कांग्रेसी नेता राशिद अल्वी ने सर्जिकल स्ट्राइक का सबूत मांगा है। राशिद अल्वी ने दिग्विजय सिंह का समर्थन करते हुए कहा कि सरकार का कहना है कि उनके पास सर्जिकल स्ट्राइक का वीडियो है, तो वे ये वीडियो दिखाएं। यदि उनके पास वीडियो नहीं है, तो वे झूठ बोलने के लिए माफी मांगे।
प्राप्त रिपोर्ट के अनुसार, राशिद अल्वी ने कहा कि हमें अपनी फौज, सर्जिकल स्ट्राइक पर विश्वास है। फौज हमारा गुरूर है। हमें उस पर यकीन है। किन्तु भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार पर विश्वास नहीं किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि सरकार कह रही है कि हमारे पास वीडियो है। तो दिग्विजय सिंह ने बस इतना कहा है कि वीडियो है तो दिखा दीजिए। यदि वीडियो नहीं है, तो माफी मांगिए। जब सरकार बोलती है, हमारे पास वीडियो है। तभी ये प्रश्न उठता है।
#WATCH | We've confidence in our security forces but can't trust BJP govt. Govt says it has video (of surgical strike) so what's wrong with Digvijaya Singh asking govt to show it? We're not asking for proof (of strike) but govt should show video it claims it has:Rashid Alvi, Cong pic.twitter.com/ULtlUyBgLJ
— ANI (@ANI) January 27, 2023
राशिद अल्वी ने कहा, हमारा सवाल सेना से नहीं है। सेना ने कभी इसे लेकर बयान नहीं दिया। मगर हमारा प्रश्न अमित शाह से है, जिन्होंने कहा कि 250-300 लोग मरे, अब सुषमा स्वराज हमारे बीच नहीं है, उन्होंने कहा था कि हमने ऐसी जगह स्ट्राइक की, जहां कोई न मारा जाए। हमारा सवाल उत्तर प्रदेश के सीएम से है, वे कह रहे हैं कि 400 लोग मरे हैं। किस पर विश्वास करें, ये सब सरकार के लोग हैं। फौज भाजपा की आर्मी विंग नहीं है। हमें फौज पर विश्वास है। हर देशवासी का घमंड है। राशिद अल्वी ने कहा, दिग्विजय सिंह यदि पूछ रहे हैं कि वीडियो दिखाएं, तो इसमें कहां गलती है। हम कह रहे हैं कि हमें बस वीडियो दिखा दीजिए। कांग्रेसी नेता ने कहा कि दिग्विजय सिंह ने यदि मांग की है कि पुलवामा मामले की जांच होनी चाहिए, तो इसमें क्या गलत है? जब उनसे पूछा गया कि दिग्विजय सिंह के बयान से राहुल गांधी ने किनारा किया है। उन्होंने कहा कि हमें फौज पर विश्वास है तथा हमें कोई सबूत नहीं चाहिए। इस पर राशिद अल्वी ने कहा, राहुल का बयान न मैंने देखा और न सुना है। मैं उन पर कोई टिप्पणी नहीं करना चाहता है। पार्टी के नेताओं पर हक़ होता है कि वे अपनी बात रख सकें।
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