इस्लामाबाद: आर्थिक तंगी और महंगाई से बुरी तरह जूझ रहे पाकिस्तान के लोगों को अब आवश्यक दवाएं भी नहीं मिल पा रही है. देश में दवाओं की कमी के बीच उनकी तस्करी और नकली दवाओं का बाजार भी खड़ा हो गया है. 1947 में भारत से अलग होकर इस्लामी देश बने पाकिस्तान में दवा की कीमतों को लेकर स्वास्थ्य मंत्रालय और दवा उद्योग के बीच रस्सकशी चल रही है, जिसके चलते देश में सभी आवश्यक दवाओं की भारी किल्लत हो गई है.
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तानी रुपये में भारी अवमूल्यन और बढ़ती महंगाई को लेकर दवा कंपनियां मांग कर रही हैं कि दवा की कीमतों में 38 फीसद का इजाफा किया जाए, मगर पाकिस्तान का स्वास्थ्य मंत्रालय सहमत नहीं हो रहा है. डॉलर के मुकाबले पाकिस्तानी रुपये में भारी गिरावट के चलते देश के दवा उत्पादक और आयातकों को विदेशों से दवा और कच्चा माल खरीदने पर बहुत खर्च करना पड़ रहा है, मगर पाकिस्तान की ड्रग रेगुलरिटी अथॉरिटी (DRAP) ने दवाओं का जो मूल्य तय किया है, उसे बढ़ा नहीं रहा है जिससे आयातकों के लिए बाहर से दवाए इम्पोर्ट करना काफी कठिन हो गया है.
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, दवा कंपनियों की मांग है कि 100 से ज्यादा दवाओं की कीमतों को बढ़ाया जाए, जिससे वो विदेशों से दवा इम्पोर्ट जारी रख सकें. हालांकि, शहबाज शरीफ सरकार ने फिलहाल इस पर किसी प्रकार का कोई फैसला नहीं लिया है.
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