गंगा-जमुना स्कूल के बाद अब रद्द हुई बालगृह की मान्यता, लगा ये आरोप

गंगा-जमुना स्कूल के बाद अब रद्द हुई बालगृह की मान्यता, लगा ये आरोप
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दमोह: मध्यप्रदेश के दमोह में गंगा जमना स्कूल के पश्चात् अब ईसाई मिशनरी की संस्थाओं पर बाल आयोग ने बड़ी कार्यवाई करते हुए ईसाई मिशनरी द्वारा संचालित आधारशिला संस्था के बाल भवन की मान्यता की ख़त्म कर दी है। महिला बाल विकास विभाग भोपाल के उप सचिव अजय कटारिया ने दमोह में धर्मांतरण के मामले को लेकर ईसाई मिशनरी संचालक डॉ. अजय लाल की संस्था, आधारशिला संस्थान द्वारा संचालित बाल गृह की मान्यता रद्द कर दी है। वही इससे पहले संस्थान के खिलाफ शिकायत प्राप्त होने पर इस बाल भवन पर यौन शोषण तथा धर्मांतरण के कई आरोप भी लग चुके थे, जिसको लेकर बाल अधिकार आयोग एवं मध्य प्रदेश राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग ने मामले में संज्ञान लेकर इसकी तहकीकात की थी तथा उसके पश्चात मामले की पुलिस में मुकदमा दर्ज करवाया गया था। 

दमोह जिले में ईसाई मिशनरी द्वारा वर्षों से आधार शिला संस्थान के बैनर तले एक बाल भवन संचालित किया जाता है, राज्य एवं केंद्र सरकार के नियम कानूनों के तहत इस बाल भवन में अनाथ बच्चों को रखने के साथ उनका भरण पोषण तथा शिक्षा दीक्षा देने का काम किया जाता है। वर्षों से चल रहे इस बाल भवन में अब तक सैकड़ो बच्चो का भरण पोषण हुआ किन्तु पिछले कुछ महीनों से ये संस्थान विवादों में घिरा है। दरअसल राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग के सदस्य ओंकार सिंह ठाकुर को शिकायत प्राप्त हुई थी कि संस्था के डॉ.अजय लाल के संस्थान आधारशिला के बाल भवन के कर्मचारी देवेंद्र डोनियल नाम पर एक नाबालिग बच्ची के साथ अभद्र चैटिंग करना तथा उसका यौन शोषण जैसी शिकायत प्राप्त हुई थी। शिकायत आई तो बाल अधिकार आयोग मध्य प्रदेश तथा राष्ट्रीय बाल सरंक्षण आयोग दोनों ने मामले को संज्ञान में लिया तथा इस मामले की शिकायत पुलिस में भी दर्ज कराई गई, मगर आयोग ने सरकार को इस संस्था की तहकीकात किए जाने के लिए लिखा। 

इस बीच इस संस्था के रिन्यूवल की कार्यवाही प्रस्तावित की गई तथा आधारशिला संस्थान ने नियमो के तहत महिला एवं बाल विकास विभाग में संस्था के रिन्यूवल के लिए आवेदन किया गया तो सरकार ने मान्यता देने से मना कर दिया है। बाल आयोग की टीम को दमोह में आधारशिला के बालगृह में 16 बच्चे मिले थे। तहकीकात में पाया कि यहां पर बालक तथा बालिकाओं को साथ रखा जा रहा था। इनमें एक बच्ची के साथ संस्था के वार्डन डेनियल द्वारा यौन शोषण करने का मामला भी था। इतना ही नहीं, अपराधी एवं उसकी पत्नी दोनों हास्टल में कर्मचारी थे। बाद में दोनों को नौकरी से हटा दिया गया था। मध्य प्रदेश बाल संरक्षण आयोग की दो सदस्यीय टीम ने दमोह आकर निरीक्षण किया था। जिसमें हिंदू बच्चों को बाइबिल ग्रंथ पढ़ाना तथा एक लड़की से यौन शोषण होने की शिकायत प्राप्त हुई थी। इस मामले पर टीम ने अपना प्रतिवेदन महिला एवं बाल विकास विभाग को सौंपा था। जिसके आधार पर यह कार्यवाही की गई है।

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